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    Friday, April 19, 2024
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      मुआवजा के बजाय उल्टी कार्रवाई की प्रशासनिक तैयारी से सिलाव के लोगों में भारी आक्रोश

      नालंदा ( राम विलास )। फोरलेन के निर्माण के लिए नालंदा के  नालंदा द्वार के आस-पास के करीब डेढ़ दर्जन भू स्वामियों की भूमि का अधिग्रहण होना तय है। जिला भू अर्जन विभाग द्वारा इन सबो को नोटिस जारी किया गया है। नोटिस के अनुपालन  में जमीन के मालिकाना हक से संबंधित तमाम कागजात इन लोगों ने जिला भू अर्जन विभाग में जमा कर दिया है।

      जरूरी पेपर जमा करने के 4 महीने बाद भी रैयतों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है जबकि सड़क के पूरव के रैयतो को भूगतान किया जा चुका है। ग्रामीणों की शिकायत है कि मुआवजा देने की जगह सरकारी भूमि  कहकर खाली कराने की प्रशासनिक  तैयारी की जा रही है।

      “इस जमीन के अधिग्रहण के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। इस जमीन के  नेचर की भी  जानकारी उन्हें नहीं  है।  नगर पंचायत चुनाव के बाद रेकॉर्ड देखकर  इसके बारे में जानकारी दी जाएगी।“…….शैलेश कुमार सिंह , अंचलाधिकारी , सिलाव।

      समाचार पत्र बिक्रेता मनोज कुमार बताते हैं कि यह जमीन उनकी खानदानी है । इस जमीन पर उनके कई पीढ़ी के लोग जीवन गुजर बसर करते आ रहे हैं।

      वे बताते हैं कि नोटिस निर्गत करने के बाद मालिकाना हक से संबंधित आवश्यक पेपर जिला भू-अर्जन विभाग में जमा कर दिए हैं।  लेकिन मुआवजा मिलने की बात तो दूर रही सरकार उन सवो  को उजाड़ने पर तुला है। 1963 में इस जमीन की  रजिस्ट्री से खरीदी है। उसी समय उसका दाखिल खारिज भी  हुआ था। तब से आज तक मालगुजारी रसीद भी कट रही है। फिर भी जिला भू – अर्जन पदाधिकारी इस जमीन को सरकारी जमीन करार दे रहे हैं, जो पूर्णतया गलत है।

      मनोज  एवं  अन्य  कहते हैं कि यदि  यह जमीन सरकारी है तो इसका निबंधन कैसे किया गया ? इस जमीन की निबंधन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई ?  यह जमीन सरकारी है तो इसका दाखिल-खारिज किस आधार पर किया गया ? यह जमीन सरकारी है तो इसकी मालगुजारी रसीद किस आधार पर काटी जा रही है ? उन्होंने ऐसे  कई सवाल किए हैं जिसका जवाब शायद सरकार के पदाधिकारियों के पास नहीं है  ?

      वे सभी कहते हैं कि इस जमीन पर उनका आशियाना है। इसी जमीन पर  दुकानदारी कर वे सभी  रोजी-रोटी कमा रहे हैं और परिवारों का भरण-पोषण भी कर रहे हैं। यदि इस जमीन पर से उन्हें बेदखल कर दिया गया तो रोजी रोटी तो छिन जायेगी ही उन्होंने सिर छुपाने की जगह भी नहीं रहेगी।

       इनकी शिकायत है कि  नालंदा द्वार के पास राजगीर- बिहारशरीफ मुखपथ के पूर्वी छोर के भू-स्वामियो  को मुआवजा का भुगतान कर दिया गया है। लेकिन पश्चिमी छोर के लोगों  को मुआवजा अब तक नहीं दिया गया है। मुआवजा  देने की बजाय उसे हटाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। इस बात को लेकर उन सबो  में उबाला और नाराजगी है ।

      फोरलेन के निर्माण में  नालंदा द्वार के आस-पास के  मनोज कुमार,  राजकुमार सिंह , जगदीश प्रसाद,  केदार गुप्ता , रामबली गुप्ता,  रामलखन प्रसाद,  छोटेलाल,  नंदे साव, नारो पंडित, सविन सिंह, राजेंद्र प्रसाद सिंह ,नागेंद्र प्रसाद सिंह एवं अन्य की जमीनों के अधिग्रहण को लेकर भू अर्जन विभाग द्वारा नोटिस निर्गत किया गया है। नोटिस निर्गत करने के बाद आवश्यक पेपर विभाग में जमा कर दिया गया है ।

       टूटेगा जिला परिषद मार्केट

      नालंदा का  जिला परिषद  मार्केट भी फोरलेन में विलीन होगा । नालंदा द्वार के समीप बने  जिला परिषद मार्केट में आधे दर्जन से अधिक दुकानें हैं । इन दुकानों को 40 हजार  एडवांस  लेकर आवंटित किया गया है । ये लोग इस मार्केट में दुकान कर अपना रोजी-रोटी चलाते हैं।   यह मार्केट फोरलेन के दायरे में है। इसका कभी भी नामोनिशान मिट सकता है ।

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