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    Thursday, April 25, 2024
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      मजदूर का बेटा हैं सीएम, लेकिन उन्हें अपने क्षेत्र के इन मजदूरों की सुध नहीं?

      “जमशेदपुर मजदूरों का शहर है। और यहां के मुख्यमंत्री खुद को मजदूर का बेटा बताते हैं, लेकिन यहां मजदूरों की सुनने वाला आज की तारीख में कोई नजर नहीं आता…”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (वीरेन्द्र मंडल)। जमशेदपुर में हजारों मजदूर ऐसे हैं, जो दिहाड़ी का काम करते हैं, और किसी खास जगह पर सुबह एकत्रित होकर मजदूरी की तलाश में रहते हैं। ऐसे जगहों पर जहां मजदूर जुटते हैं।2 4

      वहां ना तो चिलचिलाती धूप से बचने के लिए उनके पास छत होता है, ना मूसलाधार बारिश से बचने का कोई सहारा। कड़ी धूप होती है तो मजदूर पेड़ों की छांव में मजदूरी ढूंढने के लिए खड़े रहते हैं, बारिश होती है तो जहां- तहां छिपकर मजदूरी की तलाश करते हैं।

      वैसे ना तो स्थानीय प्रशासन और ना ही सरकार की तरफ से इनके लिए कोई शेड बनाया गया, जबकि हर बार जनप्रतिनिधि इन मजदूरों के लिए शेड बनाने का वादा करते हैं।

      आलम यह है कि कड़ी धूप के कारण मजदूर मजदूरी करने निकलने से घबराते हैं, तो बारिश के दिनों में भी कमोबेश यही स्थिति रहती है।

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      जबकि जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सोनारी एरोड्रम  के पास और इसी विधानसभा क्षेत्र  के मानगो में प्रतिदिन सुबह मजदूरों का जमावड़ा लगता है।

      लेकिन  मजदूर एक छत के अभाव में कड़ी धूप और मूसलाधार बारिश  के बीच  मजदूरी की जुगत में जुटे रहते हैं।

      जरूरत है तो सरकार को इन मजदूरों  को एक छत मुहैया कराने की। वैसे  मजदूरों के शहर में अगर मजदूरों के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हो वो भी मजदूर के बेटे के मुख्यमंत्री रहते.. इस सवाल का जवाब कौन दे!

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