अन्य
    Friday, March 29, 2024
    अन्य

      भगवान बुद्ध के उपदेश में संशोधन की जरुरतः प्रो. भट्ट, नहीं आये कुलपति

      “भगवान बुद्ध के उपदेशों को सही अर्थों में समझने तथा ग्रहण करने पर चर्चा करते हुए उन्होंने  कहा भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेश उस समय के लिए उपयुक्त था। आज के परिप्रेक्ष्य में इस में संशोधन की आवश्यकता है।”

      नालंदा (राम बिलास)। कुलपति की अनुपस्थिति में  नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय नालंदा का 66 वा स्थापना दिवस सोमवार को  मनाया गया । समारोह का उद्घाटन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के  अध्यक्ष प्रो  एस आर भट्ट ने दीप जला कर किया ।

      nalanda nav vihar news 1इस अवसर पर प्रो भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के 20 विश्वविद्यालयों को विश्व स्तरीय बनाने का  ऐलान किया है। विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय बनाने की बात देश में  चल रही है । उसके लिए  नव नालंदा महाविहार  तैयारी करे और  अपने को श्रेष्ठ साबित कर उन विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल होने का प्रयास करे।

      उन्होंने महाविहार के संस्थापक भिक्षु  जगदीश कश्यप के उद्देश्यों  के अनुरूप इसके विकास की परिकल्पना करने पर जोर दिया।  पुरानी विधाओं के साथ-साथ नई विद्याओं का भी अध्ययन और अध्यापन महाविहार में होनी चाहिए।

      उन्होंने कहा स्थापना दिवस केवल पारंपरिक आयोजन नहीं बल्कि एक महान उद्देश्य के तहत होता है। इस अवसर पर संस्थान का केवल गौरव गान ही नहीं किया जाता  बल्कि, भविष्य के लिए प्रेरणा भी ग्रहण किया जाता  है।

      इस मौके पर केवल अपनी सफलताओं को याद ही नहीं करते बल्कि असफलताओं और कमियों  से सीखते और उसे दूर करने का प्रयास भी करते हैं।

      उन्होंने कहा नव नालंदा महाविहार की स्थापना बौद्ध शिक्षा के संरक्षण और समृद्धि के लिए की गई थी। कोई भी शिक्षा  स्थिर जल की तरह नहीं बल्कि बहती हुई जलधारा की तरह होनी चाहिए।

      nalanda nav vihar news 3बौद्ध धर्म की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल एक धर्म नहीं बल्कि दर्शन है । इसके एक  शील और दूसरा प्रज्ञा पक्ष है। अहम वृत्ति का परित्याग करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा वर्तमान जीवन अपूर्णता से भरा है । विद्या अर्जन सीमित नहीं बल्कि व्यापक प्रचार-प्रसार का विषय है ।

      उन्होंने शिक्षकों से कहा वह स्वयं और छात्रों के बीच प्रतिभाओं को जागृत करें। वरना शिक्षा आदान-प्रदान की वस्तु बनकर रह जाएगी। शिक्षक शिक्षा के नए नए आयाम को प्रस्तुत करें।

      प्रोफेसर एस आर भट्ट  ने कहा बिना प्रज्ञा का ज्ञान अंधेरे के समान है । प्रज्ञा और शिक्षा में तारतम में होनी चाहिए। भगवान बुद्ध के मैत्री, करुणा, मुदिता को जीवन में उतारने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा पर्यावरण के लिए भी मैत्रीभाव होनी चाहिए । वर्तमान में प्रकृति के प्रति प्रेम घटता जा रहा है । यही कारण है कि नई दिल्ली में दिन में ही अंधेरा सा दिखने लगा है। दलित शब्द के इस्तेमाल पर उन्होंने रोक  लगाने की बात कही।

      उन्होंने कहा भगवान बुद्ध ऊंच-नीच और वर्ग भेद के विरोधी थे। ऐसे में दलित शब्द का प्रयोग उचित नहीं है । हर व्यक्ति को आसुरी वृत्तियों का परित्याग करना चाहिए।

      नव नालंदा महाविहार  सोसाइटी के सदस्य प्रोफेसर रामगोपाल ने कहा दुनिया में विश्वयुद्ध की तनातनी चल रही है। कई देश आमने सामने हैं । ऐसी परिस्थिति में विश्व शांति के लिए बुद्ध के संदेश ही पर्याप्त हैं । बुद्ध के संदेश पाली भाषा में है इसे आम भाषा में उजागर करने की जरूरत है । अहिंसा परमो धर्म की चर्चा करते हुए कहा  सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए और विश्व शांति के लिए अनेकों कार्य किए हैं ।

      उन्होंने जापान की तारीफ करते हुए कहा की महातबाही के बाद भी जापान फिर से उठ पर खड़ा हुआ  है। जापान की तकनीक दुनिया के सभी देशों में अपनाया जा रहा है।

      nalanda nav vihar news 2उन्होंने कहा कि दुनिया में शायद जापान ही पहला देश है जो बदले की भावना से ऊपर है। प्रोफेसर रामगोपाल ने कहा नालंदा विश्वविद्यालय की खोई हुई गरिमा को वापस लाने  और भगवान बुद्ध के संदेश को दुनिया के मानचित्र पर फिर से स्थापित करने  के लिए नव नालंदा महाविहार की स्थापना तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने किया था।

      उन्होंने  कहा कि विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालयों में नालंदा और तक्षशिला का नाम शुमार है। वर्तमान की शिक्षा को आध्यात्मिकता के साथ-साथ रोजगार से भी जोड़ने की आवश्यकता पर उन्होंने जोर  दिया।

      उन्होंने कहा प्रत्येक स्नातकों को कंप्यूटर का पर्याप्त ज्ञान हासिल होना चाहिए। महाविहार द्वारा प्रकाशित शोध पत्रिका को वेबसाइट पर उपलब्ध कराने का सुझाव  दिया ।

      उन्होंने कहा कि महाविहार को विश्वविद्यालय का आकार देना है तो और फैकल्टी  बढ़ाने की जरूरत है। शिक्षा की बदहाली पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश और बिहार में उच्च शिक्षा की दुर्गति हो रही है। इसके साथ ही  प्राथमिक शिक्षा भी लड़खड़ा रही है। वर्तमान में शिक्षा नामांकन और परीक्षा तक ही सीमित रह गई है , जो भविष्य और कैरियर के लिए उचित नहीं है।

      इस अवसर पर यूजीसी द्वारा आयोजित जेआरएफ और नेट परीक्षा में उर्तिण, बादबिवाद,  निबंध,  खेलकूद एवं अन्य प्रतियोगिता  में सफल छात्र – छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। समारोह का आरंभ बौद्ध भिक्षुओं के मंगल पाठ से किया गया ।

      विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक डॉ श्रीकांत सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत और रजिस्ट्रार डॉ सुनील प्रसाद सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

      नहीं  आये कुलपति

      नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलपति सह संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रणव खुल्लर अपने ही विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में शामिल नहीं हो सके।

      इस संबंध में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ एस पी सिन्हा ने बताया कि संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा के निर्देशानुसार कुलपति विशेष कार्यवश लखनऊ गये हैं, जिसके कारण वह यहां उपस्थित नहीं हो सके हैं ।

      महाविहार के छात्र- छात्राओं के द्वारा इस अवसर पर रंगारंग  सास्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया ।

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!