अन्य
    Saturday, April 20, 2024
    अन्य

      बौद्ध अध्ययन संस्थानों को लेकर सेन्ट्रल बोर्ड या यूनिवर्सिटी बनाने पर हो रहा मंथन

      नालंदा ( राम विलास )। नव नालंदा महाविहार समेत देश के चार बौद्ध अध्ययन संस्थान के डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा समाप्त हो सकता है । संस्कृति मंत्रालय अपने  अधीन के  बौद्ध विद्या  के शिक्षण संस्थानों के बेहतर प्रबंधन व  नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय संस्थान / बोर्ड  या सेंट्रल बुद्धिष्ट यूनिवर्सिटी बनाने पर विचार कर रही है।

      इस आशय का सुझाव राष्ट्रीय नीति आयोग ने संस्कृति मंत्रालय को दिया है। इन संस्थानों में हो रहे  फिजूल खर्चों में कमी , बेहतर प्रबंधन  और शैक्षणिक व्यवस्था में गुणवत्ता पूर्ण  सुधार की उम्मीद को लेकर यह विचार  किया  जा रहा है । संस्कृति  मंत्रालय के अधीन देश में चार  उच्च कोटि ( अंतर्राष्ट्रीय स्तर  )  के  बुद्धिष्ट स्टडी के शिक्षण संस्थान हैं।

      इन संस्थानों में एशिया महादेश समेत दुनिया के कई देशों के ज्ञान पिपाशु अध्ययन व शोध के लिए  आते हैं । इनमें  पहला नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय, नालंदा  ( बिहार ) , दूसरा सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ हायर तिब्बतीयन स्टडीज,  सारनाथ ( उत्तर प्रदेश  ),  तीसरा सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज लेह ( जम्मू – कश्मीर )  और चौथा केंद्रीय हिमालयन संस्कृति शिक्षण संस्थान दाहून्ग dahung ( हिमाचल प्रदेश)  है ।

      नीति आयोग के सुझाव पर संस्कृति मंत्रालय में गहन मंथन किया जा रहा है ।  सरकार इन बौद्ध शिक्षण संस्थानों के स्वायत्तता को कम कर अपने अधीन करने की योजना बना रही है। ऐसा हुआ तो इन संस्थानों को मिली डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा समाप्त हो सकता है । इससे अलग- अलग कुलपति पर हो रहे व्यय की भी  बचत होगी ।

      सेंट्रल बुद्धिस्ट यूनिवर्सिटी या राष्ट्रीय स्तर का बोर्ड/संस्थान  गठित करने  पर विचार इसलिए भी   किया जा  रहा है। ये सभी शिक्षण संस्थान केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा संचालित हो रहे हैं। इनमें नालंदा समेत सभी  संस्थानों को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है । ये  सभी एक प्रकृति के बौद्ध विद्या केंद्र हैं।

      केंद्र सरकार इन अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों के  गुणवत्ता में उच्च कोटि के सुधार लाने या  इन शिक्षण संस्थानों को पूर्ववत  स्वरूप में रखते हुए   संस्कृति मंत्रालय इनकी स्वायत्तता को कम करके अपने नियंत्रण में रखने की योजना  पर विचार कर रही है

      नव नालंदा महाविहार की स्थापना प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्मृति में किया गया है। भारतीय गणतंत्र के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और बौद्ध भिक्षु डॉक्टर जगदीश काश्यप के सद्प्रयास से इसकी स्थापना की गई थी।  इस महाविहार का इतिहास उतना ही पुराना है,  जितना भारतीय गणतंत्र का।

      डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की गौरव गाथा को पुनर्जीवित करने के लिए ही इस संस्थान की नीव 1951 ईस्वी में रखी थी। प्राचीन  नालंदा विश्वविद्यालय के इतिहास को पुनर्जीवित करने के लिए राजगीर के पास नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है ।

      यह दोनों शिक्षण संस्थान नालंदा विश्वविद्यालय के  गौरव गरिमा को पुनर्जीवित करने के लिए सचेष्ट है। आने वाला समय बताएगा कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति में पहले कौन सफल होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ नालंदा विस्तृत अर्थ में लेते हुए अपने को शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ संस्थान साबित करने के लिए प्रयासरत है। वही नव नालंदा महाविहार बौद्ध धर्म के विशेष परिप्रेक्ष्य में अपनी कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है ।

      स्वतंत्र भारत में बौद्ध विद्या को पुनर्जीवित करने के लिए देश के  चार बौद्ध विद्वानों ने बीड़ा उठाया था। इनमें भिक्षु  डॉक्टर जगदीश काश्यप,  आनंद कौशल्यायन भिक्षु भदन्त और पंडित राहुल सांकृत्यायन का नाम शुमार है।

      भिक्षु डा  जगदीश काश्यप ने नालंदा की शैक्षणिक परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास ही इंद्र सरोवर के तट पर स्थल चयन किया। इस संस्थान के पास अपना कई विशाल भवने  हैं।

      सूत्रों की माने तो भारत देश में कुल 131 डीम्ड यूनिवर्सिटी है। इन सबो  में  नव नालंदा महाविहार सर्वाधिक पुराना है। महाविहार ही एकमात्र सरकारी संस्थान है, जिसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा हासिल है ।

      ……..अधिकारी बोले

      संस्कृति मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के यह विचाराधीन है । नीति आयोग के सुझावों पर इन मंत्रालयों में विचार किया जा रहा है । इसके संबंध में नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय से भी मंतव्य की माँग की गई थी । यहां के विचार से संस्कृति मंत्रालय को अवगत करा दिया गया है । ……डॉ. सुनील प्रसाद सिन्हा, रजिस्ट्रार, एनएनएमडीयू

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!