“शराबबंदी जैसे कानून को कड़ाई से पालन करवाने की जबावदेही जिला पदाधिकारी (डीएम) की रही है। लेकिन बिहार के किसी भी जिले से ऐसी सूचना आई हो कि डीएम ने इस दिशा में कोई सीधी पहल की हो या कार्रवाई की हो। सब पुलिस-उत्पाद विभाग के कर्मी-अफसर ही गोते लगाते दिखे हैं……”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। पटना हाईकोर्ट ने बिहार में शराब मिलने पर सख्त नाराजगी जताते हुए शासन से दो टूक सवाल किया है, ‘डीएम बताएं, जब राज्य में पूर्ण शराबबंदी है तो फिर शराब कैसे मिल रही है’?
‘यही नहीं कहीं सैकड़ों तो कहीं हजारों लीटर शराब पकड़ी जा रही है, जबकि राज्य में शराब निर्माण सहित बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है’।
‘एक से दूसरी जगह शराब ले जाना कोई मामूली बात नहीं है, जब तक पुलिस और उत्पाद विभाग के अधिकारी इसमें संलिप्त नहीं हों’।
हाई कोर्ट ने इस मामले में जिलाधिकारियों से 13 फरवरी तक अपने स्तर से जवाब देने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ शराब के साथ पकड़े गए लोगों की ओर से दायर जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने सभी मामलों की सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 फरवरी तय की।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी कानून लागू करने की जिम्मेवारी जिलों के डीएम की है, लेकिन जिस प्रकार शराब की जब्ती हो रही है, उससे लगता है कि यह कानून सिर्फ दिखावा है।
जब शराबबंदी है तो एक जगह से दूसरी जगह शराब ले जाते पकड़े जाने पर कितने कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई और शराबबंदी कानून के तहत कार्रवाई की गई है। राज्य में कैसे दूसरे राज्यों से शराब आ रही है, जबकि जगह-जगह पुलिस के अलावा चेक पोस्ट बैरियर पर उत्पाद विभाग के कर्मी तैनात हैं।
कोर्ट का कहना था कि बेरोजगार युवक पैसे तथा अपनी जीविका चलने के लिए ट्रांसपोर्टेशन के काम में लगे हुए हैं।
कोर्ट ने कहा है कि पकड़ी गई शराब कहां से लाई गई और जहां जब्त की गई उसके बीच कितने चेकपोस्ट और पुलिस थाना पड़ते हैं, उसका पूरा ब्योरा डीएम दें।
बता दें कि बिहार में पांच अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू हुई थी। बीते तीन वर्षों में शराबबंदी कानून के तहत 1.67 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया और करीब 52 लाख दो हजार 80 लीटर शराब बरामदगी की गई।
शराबबंदी कानून के तहत आठ जुलाई 2019 तक दर्ज मामलेः
पटना -28,593
भोजपुर (आरा)- 8,520
अररिया -5,792
औरंगाबाद- 5,453
बांका -5,453
बेगूसराय -3,137
प. चंपारण- 7,881
भागलपुर- 3,022
बिहारशरीफ- 5,287
बक्सर- 4,860
सारण (छपरा) 7,344
दरभंगा 3,790
गया -11,211
गोपालगंज- 5,937
वैशाली (हाजीपुर)- 2,064
जमुई -2,764
जहानाबाद- 4,373
कैमूर -3,513
कटिहार -8,667
खगड़िया -2,545
किशनगंज -2,412
लखीसराय- 1,860
मधेपुरा -2,530
मधुबनी -7,651
पू. चंपारण -9,979
मुंगेर -2,308
मुजफ्फरपुर- 6,834
नवादा- 6,774
पूर्णिया- 5359
सहरसा -1035
समस्तीपुर- 6978
सासाराम- 8167
शिवहर- 1209
शेखपुरा- 1237
सीतामढ़ी – 6978
सीवान- 7421
सुपौल- 2422
हालांकि, उपरोक्त आकड़े बिहार पुलिस विभाग द्वारा जारी सरकारी आकड़े हैं। स्थिति इससे कहीं अधिक विस्फोटक है। शराबबंदी कानून पुलिस-उत्पाद विभाग के हर स्तर पर महज काली कमाई का अहम जरिया बन कर रह गया है।