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    Saturday, April 20, 2024
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      बिहारः किस डीएम के पास आपके सवाल का ईमानदार जबाव होगा मी लार्ड ?  

      शराबबंदी जैसे कानून को कड़ाई से पालन करवाने की जबावदेही जिला पदाधिकारी (डीएम) की रही है। लेकिन बिहार के किसी भी जिले से ऐसी सूचना आई हो कि डीएम ने इस दिशा में कोई सीधी पहल की हो या कार्रवाई की हो। सब पुलिस-उत्पाद विभाग के कर्मी-अफसर ही गोते लगाते दिखे हैं……”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क।  पटना हाईकोर्ट ने बिहार में शराब मिलने पर सख्त नाराजगी जताते हुए शासन से दो टूक सवाल किया है, ‘डीएम बताएं, जब राज्य में पूर्ण शराबबंदी है तो फिर शराब कैसे मिल रही है’?liquor ban crime patna high court action 1

      ‘यही नहीं कहीं सैकड़ों तो कहीं हजारों लीटर शराब पकड़ी जा रही है, जबकि राज्य में शराब निर्माण सहित बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है’।

      ‘एक से दूसरी जगह शराब ले जाना कोई मामूली बात नहीं है, जब तक पुलिस और उत्पाद विभाग के अधिकारी इसमें संलिप्त नहीं हों’।

      हाई कोर्ट ने इस मामले में जिलाधिकारियों से 13 फरवरी तक अपने स्तर से जवाब देने का आदेश दिया।

      न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ शराब के साथ पकड़े गए लोगों की ओर से दायर जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने सभी मामलों की सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 फरवरी तय की।

      सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी कानून लागू करने की जिम्मेवारी जिलों के डीएम की है, लेकिन जिस प्रकार शराब की जब्ती हो रही है, उससे लगता है कि यह कानून सिर्फ दिखावा है।liquor ban crime patna high court action 3

      जब शराबबंदी है तो एक जगह से दूसरी जगह शराब ले जाते पकड़े जाने पर कितने कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई और शराबबंदी कानून के तहत कार्रवाई की गई है। राज्य में कैसे दूसरे राज्यों से शराब आ रही है, जबकि जगह-जगह पुलिस के अलावा चेक पोस्ट बैरियर पर उत्पाद विभाग के कर्मी तैनात हैं।

      कोर्ट का कहना था कि बेरोजगार युवक पैसे तथा अपनी जीविका चलने के लिए ट्रांसपोर्टेशन के काम में लगे हुए हैं।

      कोर्ट ने कहा है कि पकड़ी गई शराब कहां से लाई गई और जहां जब्त की गई उसके बीच कितने चेकपोस्ट और पुलिस थाना पड़ते हैं, उसका पूरा ब्योरा डीएम दें।

      बता दें कि बिहार में पांच अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू हुई थी। बीते तीन वर्षों में शराबबंदी कानून के तहत 1.67 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया और करीब 52 लाख दो हजार 80 लीटर शराब बरामदगी की गई।

      शराबबंदी कानून के तहत आठ जुलाई 2019 तक दर्ज मामलेः

      पटना -28,593

      भोजपुर (आरा)- 8,520

      अररिया -5,792

      औरंगाबाद- 5,453

      बांका -5,453

      बेगूसराय -3,137 

      प. चंपारण- 7,881

      भागलपुर- 3,022

      बिहारशरीफ- 5,287

      बक्सर- 4,860

      सारण (छपरा)  7,344

      दरभंगा 3,790

      गया -11,211

      गोपालगंज- 5,937

      वैशाली (हाजीपुर)- 2,064

      जमुई -2,764

      जहानाबाद- 4,373

      कैमूर -3,513

      कटिहार -8,667

      खगड़िया -2,545

      किशनगंज -2,412

      लखीसराय- 1,860

      मधेपुरा -2,530

      मधुबनी -7,651

      पू. चंपारण -9,979

      मुंगेर -2,308

      मुजफ्फरपुर- 6,834

      नवादा- 6,774

      पूर्णिया- 5359

      सहरसा -1035

      समस्तीपुर- 6978

      सासाराम- 8167

      शिवहर- 1209

      शेखपुरा- 1237

      सीतामढ़ी – 6978

      सीवान- 7421

      सुपौल- 2422

      हालांकि, उपरोक्त आकड़े बिहार पुलिस विभाग द्वारा जारी सरकारी आकड़े हैं। स्थिति इससे कहीं अधिक विस्फोटक है। शराबबंदी कानून पुलिस-उत्पाद विभाग के हर स्तर पर महज काली कमाई का अहम जरिया बन कर रह गया है।liquor ban crime patna high court action 1

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