एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर से सटे एक गांव की 13 वर्षीय छात्रा के साथ विगत 16 सितबंर को हुए बर्बर सामूहिक बलात्कार के खिलाफ बेटी बचाओ मोर्चा के आह्वान पर ठाकुरबाड़ी प्रांगण में लोग जन आंदोलन खड़ा करने हेतु जुटने लगे हैं। सारे आंदोलनकारी अपनी बाजू पर काली पट्टी बांध अपना प्रतिरोध प्रकट कर रहे हैं।
इस आंदोलन के संयोजक राजाराम सिंह, कार्यकारी संयोजक नीरज कुमार, सह संयोजक अनिल कुमार, प्रमोद कुमार, नवल यादव, परीक्षित नारायण ’सुरेश’, श्रवण यादव, अमित पासवान, करण ग्रोवर, अरुण कुमार, उमराव यादव, तारिक अनवर एवं नवेन्दु झा हैं।
बताया जा रहा है कि नालंदा, नवादा, शेखपुरा, जहानाबाद, पटना, बाढ़, बेगुसराय आदि इलाकों से भारी संख्या में लोग इस आंदोलन में जुट रहे हैं।
आंदोलनकारियों का कहना है कि इस जघन्य कांड के संरक्षक सफेदपोश हो सकते हैं। क्योंकि न ही पुलिस द्वारा अपराधियों को रिमांड पर लेकर पूर्व की घटनाओं की जानकारी ली गई, औऱ न ही उनसे कड़ाई से पूछताछ की गई।
जबकि लोगों का मानना है कि आरोपी बदमाशों द्वारा दरींदगीपूर्ण घटनाओं को पहले भी अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर में अंजाम दिया गया, जिसकी सूक्ष्मता से जांच किये जाने की जरुरत है।
बदमाश बलात्कारियों ने सामूहिक बलात्कार का जो वीडियो जारी किया है, उससे भी स्पष्ट होता है कि पहले भी ऐसे दर्जनों घटनाओं को अंजाम दिया गया है, क्योंकि पूरा वीडियो बहुत ही पेशेवर ढंग से बनाया गया है।
स्थानीय लोग मानते हैं कि पुलिस-प्रशासन एवं सफेदपोश लोगों के सहयोग और संरक्षण से यह सब संगठित तरीके से जघन्य अपराध कर रहा है। बलात्कारियों के पास से जो मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं, उनकी साइबर विशेषज्ञों से जांच कराना जरुरी है।
ऐसी चर्चा है कि बरामद किए गए मोबाइल में इस तरह की घटनाओं के कई वीडियो हैं। आश्चर्य की बात है कि इसकी जांच साइबर विशेषज्ञों से नहीं कराई गई।
आंदोलनकारियों ने बिहार सरकार से मामले की सीबीआई जांच कराने, अभियुक्तों पर अतिशीघ्र चार्जशीट दाखिल कर विशेष स्पीडी ट्रायल कोर्ट द्वारा 45 दिनों में फांसी की सजा देने, पीड़िता के जीवन जीने एवं स्वावलंबन के लिए 50 लाख रुपए की सहायता राशि उपलब्ध कराने एवं राजगीर थानेदार संतोष कुमार को अविलंब बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।
हालांकि उधर, बीते कल राजगीर गैंग रेप घटना की जांच करने पीड़िता के घर सदस्य नीलम सहनी के साथ पहुंची बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने नालंदा पुलिस प्रशासन की कार्यशैली के जमकर कशीदे गढ़े थे।
श्रीमती मिश्रा ने गैंगरेप जैसी घटनाएं समाज मे जघन्य अपराध मानते हुए ने कहा था कि पुलिस प्रशासन की कार्यशैली से पीड़िता को शीघ्र न्याय मिलने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा था कि नालंदा एसपी ने सराहनीय काम किया है। किसी भी गांव वाले ने पुलिस-प्रशासन को लेकर कोई शिकायत नहीं की।
इधर ग्रामीणों का कहना है कि बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष भारी पुलिस सुरक्षाकर्मी लेकर पीड़िता के घर निर्धारित समय से काफी पहले ही पहुंच गई और हवा-हवाई बात कर लौट गईं। अगर वे चाहती तो अगले दिन शुरु होने वाले आंदोलन के बारे में भी पुलिस-प्रशासन को साथ लेकर बात करतीं। लेकिन वे मामले की गंभीरता को नजरअंदाज कर सीधे राजगीर परिसदन जाकर मीडिया के सामने बकबास की।
बेटी बचाओ आंदोलन के कार्यकारी संयोजक नीरज कुमार दो टूक कहते हैं, बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष और उनकी टीम कोरा बकबास कर रही हैं। अध्यक्ष ने जिस तरह से बयान दिया है, उससे साफ जाहिर होता है कि वह पुलिस-प्रशासन द्वारा भ्रम का माहौल उत्पन्न करने के लिए प्लांटेड की गई हैं।
श्री कुमार आगे कहते हैं कि पुलिस राजगीर बच्ची गैंग रेप मामले में शुरु से ही भारी लापरवाही बरतते आ रही है और अभी भी बरत रही है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष भारी पुलिस कर्मी लेकर पीड़िता के घर पहुंचे। उसके परिजनों को खूब उल्टी-सीधी पट्टी पढ़ाई।
गांव के किसी भी व्यक्ति को न सुनी और पुलिस किसी को पास फटकने दिया। दरअसल वह समस्या समाधान के लिए वह नहीं आई थी, बल्कि समस्या दबाने और पुलिस-प्रशासन का बचाव करने की कुचक्र में शामिल दिखीं।