एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। यह तस्वीर है बिहार के सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले नालंदा के नगरनौसा प्रखंड के दमोदरपुर बल्धा पंचायत के वार्ड नं 16 की। इन तस्वीरों को देख कोई भी भ्रम में पड़ सकता है कि अहर-पईन किनारे इस तरह किसी शौचालय की टंकी बनाई गई है या फिर वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत पौधों की सुरक्षा की घेराबंदी हुई है।
हालांकि जब उसके उपर रखे पतली सीमेंट-बालू सके ढक्कन और उसके सीध उपर बने छोटे-छोटे कमरे देख यकीन हो जाता है कि यह सब भारत स्वच्छता अभियान के गांव-समाज को खुले में शौच मुक्त करने का ‘खेला’ ही है।
कहते हैं कि यहां कोई लाभुक खुद ऐसा खेल नहीं खेल रहा, बल्कि स्वच्छता अभियान के सरकारी नुमांईदों की प्रखंड विकास पदाधिकारी की ‘अंदरुनी निविदा’ आदेश पर महिला वार्ड सदस्य का देवर ठेकेदारी कर रहा है।
चूकि इस मद में प्रति लाभुक सरकारी राशि 12 हजार रुपये ही मिलनी है तो फिर भला कोई हर स्तर पर ‘सेवा शुल्क’ देकर अपनी जेब से पाताल में खुदाई की जहमत क्यों उठायेगा। आसमान की ओर शौचालय टंकी बनाने में क्या बुराई है? ओडीएफ फेल होगा तो सरकारी बाबू लोग ‘तीसरी सरकार’ के संग मिलकर उसमें वृक्षारोपण का एक और ‘खेला’ भी आसानी से कर लेगें। उनमें लोक-लाज बचा ही कहां है?
आश्चर्य की बात है कि ऐसे ‘खेला’ में शामिल लाभुकों के नाम भुगतान भी आसानी से हो जाता है, लेकिन सही में जो लाभुक कर्जा-पैंचा लेकर स्वंय शौचालय बना भी लेता है तो उसे भुगतान के लिये सरकारी बाबूओं के सामने खूब एड़ियां रगड़नी पड़ती है। लेकिन उसकी कोई सुध नहीं लेता।