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    Saturday, April 20, 2024
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      बच्चे फेल नहीं हुए, आपका सिस्टम फेल हुआ साहब

      navin sharma
      वरिष्ठ पत्रकार नवीन शर्मा जी का वेबाक आंकलन….

      झारखंड और बिहार के मैट्रिक और इंटर का रिजल्ट यहां के शैक्षणिक माहौल की गंदगी और सड़ाध का ही प्रतिफल है। झारखंड में मैट्रिक की परीक्षा में 4.63 लाख में से 1.95 लाख बच्चे फेल हो गए। वहीं इंटर में 62 हजार परीक्षार्थी फेल हो गए। यांनी कुल 2.57 लाख बच्चे फेल हो गए। यह बहुत ही खतरनाक संकेत है।यही हाल बड़े भाई बिहार का भी है। वहां भी 12वीं की परीक्षा में 12 लाख में से आठ लाख घुलट गए।

      कुछ शातिर नेता और अधिकारी इस शर्मनाक रिजल्ट के लिए बेवकूफ जैसी सफाई दे रहे हैं। कोई कह रहा है कदाचार नहीं होने दिया और कड़ाई से कापी जांचने की वजह से ऐसा खराब रिजल्ट आया है। इन बेशर्मों में इतना नैतिक साहस नहीं है कि ये बात कबूले कि बच्चों को ढंग से पढ़ाया नहीं गया।

      झारखंड में तो 50 हजार अधिक शिक्षकों की कमी है तो फिर क्वालिटी एजुकेशन की बात बेमानी है। हर कक्षा के लिए जब तक एक शिक्षक भी नहीं देंगे तो यह दुर्गति तो होनी तय है। इसके अलावा जो सरकारी स्कूलों के शिक्षक हैं वो भी ईमानदारी से नहीं पढ़ाते हैं। यह रिजल्ट इस बात की ताकीद करता है।

      मैट्रिक और इंटर के समय किशोरावस्था में बहुतों को पढा़ई बोरिंग लगती है। खेलकूद और मनोरंजन के अन्य साधन ज्यादा लुभाते हैं। कई विद्यार्थियों को पढा़ई का महत्व ही पता नहीं रहता। ऐसे में अभिभावकों की तरह बच्चों को अपना मान कर पढ़ाने और प्रेरित करने की जरूरत होती है। ऐसे में अधिकतर सरकारी शिक्षक इस जिम्मेदारी का निर्वाह करने में बुरी तरह फेल रहे हैं।

      सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी भी है । पर यह कमी भी इस कारण है क्योंकि भ्रष्टाचार की बदौलत नौकरशाहों और ठेकेदारों ने अपने पास बेहिसाब संपत्ति जमा कर ली है। ये लोग इतने निर्लज्ज हैं कि बच्चों के मध्याह्न भोजन पर भी डाका डालते हैं। ऐसे माहौल में रिजल्ट तो खराब होना ही है।

      खैर मेरा शिद्दत से मानना है कि पूरे देश में एक ही बोर्ड हो सीबीएसई। एक ही सिलेबस हो। बस हर राज्य के इतिहास, स्थानीय भाषा और साहित्य की अलग से किताबें हों। राज्यों के बोर्ड खत्म होने चाहिए। बच्चों को पढा़ई का इक्वल लेवल फील्ड मिल

      अंत में एक जरूरी बात सभी बच्चों को ग्रेजुएशन तक जबरन पढ़ाना जरूरी नहीं है। 10 वीं के बाद जिनका पढ़ने में मन हो और जो योग्य हों उन्हें ही उच्च शिक्षा दी जाए। बाकि को खेल, सेना, पुलिस या अन्य पेशों की ट्रेनिंग देकर आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
      नवीन शर्मा

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