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    Saturday, April 20, 2024
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      बच्ची संग दुष्कर्म के बाद गिरियक-महिला थानाध्यक्ष का दिखा शर्मनाक चेहरा

      बच्ची संग दुष्कर्म एक गंभीर मसला है। समाज-पुलिस-कानून की किसी भी लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह खुद में एक अक्षम्य अपराध है। लेकिन सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में ऐसे मामलों पर भी लीपापोती होती है ,ताकि उसका लाभ दुष्कर्मी को सीधे मिल सके …..…….”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। यह शर्मनाक मामला नालंदा जिले के गिरीयक थाना क्षेत्र के एक गांव से जुड़ा है। वहां एक बच्ची के साथ दरींदगी की जाती है। उसके साथ दुष्कर्म होता है। पीड़ित परिजन उसकी तुरंत शिकायत करने थाना जाते हैं। लेकिन वहां से थानाध्यक्ष अनील कुमार द्वारा यह कह कर भगा दिया जाता है कि महिला थाना जाओ।

      इधर परिजन पीड़िता को लेकर महिला थाना पहुंचते हैं। लेकिन यहां से भी महिला थानाध्यक्ष सीमा कुमारी द्वारा उसे यह कह कर लौटा दिया जाता है कि मामला गिरियक थाना क्षेत्र का है, इसीलिए वहां जाओ। वहीं शिकायत दर्ज होगी।

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      इस तरह पीड़िता बच्ची के परिजन 3 दिन तक गिरियक थाना और महिला थाना के बीच झुलते रहते हैं। फिर यह मामला जिले के एक वरीय पुलिस अफसर के संज्ञान में जाता है और उनके झुंझुलाहट पर गिरियक थाना में शिकायत दर्ज की जाती है और पावापुरी ओपी प्रभारी प्रभा कुमारी को अनुसंधानकर्ता बनाया जाता है।

      अब वारदात के 3 दिन बाद दुष्कर्म की शिकार बच्ची का किस तरह की मेडिकल रिपोर्ट आएगी और किस तरह  दुष्कर्मी को कैसी सजा मिल पाएगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

      बहरहाल, गिरियक थानाध्यक्ष ने इस मामले में घोर लापरवाही बरती है। उसे तत्काल शिकायत दर्ज कार्रवाई करनी चाहिए थी। यदि उस थाना में कोई महिला पुलिसकर्मी-अफसर नहीं भी थी तो उन्हें करीबी ओपी प्रभारी की मदद लेनी चाहिए।

      ऐसे किसी भी थानाध्यक्ष की रेप मामलों में बाध्यता है कि विकल्पहीनता की परिस्थिति में वे पीड़िता को तत्काल अपनी सुरक्षा में महिला थाना में प्रस्तुत करें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

      यदि पीड़ता या उसके परिजन खुद दुष्कर्म की शिकायत लेकर महिला थाना पहुंच गए तो वहां के थानाध्यक्ष की जिम्मेवारी बनती थी कि वह मामले को गंभीरता से लेती और त्वरित कार्रवाई करतीं।

      लेकिन बिहा शरीफ महिला थानाध्यक्ष द्वारा क्षेत्र परिधि का हवाला देकर पीड़िता को लौटा देना कम शर्मनाक नहीं है। खासकर उस परिस्थिति में जब जीरो एफआईआर दर्ज करने की बाध्यता भी पूरे राज्य में लागू कर दी गई हो और महिला थाना प्रक्षेत्र समूचा जिला हो। 

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