अन्य
    Thursday, April 18, 2024
    अन्य

      प्रो. सुनैना सिंह ने संभाला नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति का पदभार

      नालंदा (राम विलास)। नालंदा विश्वविद्यालय की नई कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने सोमवार का  पदभार संभाला। प्रोफेसर सिंह ने नालंदा विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति एवं इतिहास-अध्ययन संकाय के डीन प्रोफेसर पंकज मोहन से पद भार ग्रहण किया।

      nu sunaina 1प्रभार संभालने के बाद प्रोफेसर सिंह ने विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों से मुलाकात की और प्रशासन के साथ ही शिक्षाविदों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।

      उन्होंने कहा, “मेरा लक्ष्य नालंदा जैसे ऐतिहासिक और विश्ववन्द्य स्तर पर प्रशंसित संस्था का पुनर्निर्माण करना है- यह एक ऐसी चुनौती है, जो मुझे नालंदा विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा और अनुसन्धान के क्षेत्र में उत्कृष्टता का नया माप दंड स्थापित करने के लिए प्रेरित करेगा। मेरा यह प्रयास रहेगा कि  विश्वविद्यालय के विज़न को साकार किया जाये। “

      प्रोफेसर पंकज मोहन ने प्रभार सौंपते हुए खुशी जाहिर की और कहा, “प्रोफेसर सुनैना सिंह के सशक्त और कुशल हाथों में विश्वविद्यालय का भविष्य सुरक्षित  है। इनके पास प्रशासनिक नेतृत्व का विशाल अनुभव है। उन्होने प्रो. सिंह को बधाई दिया।

      सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रमुख के रूप में, दक्षिण एशियाई क्षेत्र में प्रोफेसर सुनैना सिंह सबसे प्रमुख महिला कुलपति हैं। एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और प्रशासक, वह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की उप -अध्यक्ष भी हैं।

      इन्हें शास्त्री इंडो-कैनेडियन इंस्टीट्यूट (एम.एच.आर.डी और कैनेडियन सरकार के सहयोग से चलने वाली एक द्वि-राष्ट्रीय अनुसंधान संस्था जिसके मुख्यालय नई दिल्ली और कैलगरी में हैं)  के पहली भारतीय महिला अध्यक्ष होने की भी ख्याती प्राप्त है।  प्रोफेसर सिंह पांडित्य, पेशेवर अखंडता, और प्रशासनिक क्षमता का एक समृद्ध मिश्रण हैं।

      एक सक्षम और दूरदर्शी प्रशासक के रूप में उन्होनें अपनी नेतृत्व की भूमिका में उत्कृष्टता प्रदान की है और कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित की गयी हैं। उन्हें 2014 में शिक्षा के लिए उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कृत किया गया था। 2016 में  विश्व शिक्षा कांग्रेस ने उन्हें सबसे प्रभावशाली खिताब दिया गया है।

      कुलपति कप्रोफेसर सिंह कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक समितियों की सदस्य हैं । शैक्षणिक और प्रशासनिक प्रणाली के पुनर्गठन और पुन: डिजाइन करने के चुनौतीपूर्ण कार्य में भी लगी रहती हैं।

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!