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    Tuesday, March 19, 2024
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      प्रकृति की उपासना की प्रमुख आदिवासी त्योहार हैं बाहा :श्यामल मार्डी

      “सभी महिला पुरूष अपने पांरपारिक परिधान पोषक मे नजर आये। साथ में बाहा नाच ढोल, नगाडे, तुमदा ,करताल आदि वाद्य यंत्र से प्रस्तुत एंव सभी लोगों लुप्त उठाये और अपने आदिवासी अस्मिता को बचाने और एकता का परिचय दिए…”

      चाण्डिल (सरायकेला )। आज 24 मार्च को पातकोम दिशोम के विभिन्न गाँवो मे बाहा पर्व का बडे ही धूमधाम से मनाया गया।

      डीमूडीह गाँव मे नायके बाबा खिरद मुर्मु, चोकेगाडिया गाँव मे नायके बाबा सोनाराम हांसदा, टीकर गाँव मे नायके बाबा फणी बेसरा, गौरांग कोचा गांव मे नायके बाबा अजित मुर्मु आदि सभी नायके बाबाओ को गाँव के सभी महिला पुरूषो ने पांरपारिक रिति-रिवाजो से नाच कर नायके घर से जाहेरा तक लाया गया।

      फिर नायके बाबाओं ने जाहेरा मे साल फूल और मुर्गा की बलि देकर मारांग बुरू, लिटा गोसाय मोडे को तुरुय को, जाहेर आयो की विधिवत् पूजा अर्चना कर उपस्थित सभी लोगो के कान मे साल फूल लगाकर एक साथ एकत्रित होकर गांवों की अमन चैन और सुख समृद्धि की कामना किए।

      उपस्थित पातकोम दिशोम मांझी पारगाना महाल के सचिव श्यामल मार्डी ने कहा कि आदिवासियों का प्रमुख पर्व बाहा आदि पुरखो से मनाते आ रहे हैं और इसी संकल्पित के साथ आने वाले पीढी में भी संयोग कर मनाने की अपील करते हुए कहा कि आदिवासियों की पहचान ही प्रकति प्रेमी हैष

      इस अवसर पर उपस्थित पातकोम दिशोम पारगाना मान् रामेश्वर बेसरा, नारायण हांसदा, शिलू सारना, सुकराम सोरेन, दिनेश टुडू आदि हजारो की तादात मे महिला पुरूष उपस्थित हुए।।।

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