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    Saturday, April 20, 2024
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      पुलिस कस्टडी में जदयू नेता की मौत पर क्विक एक्शन से सभी थानेदारों में मचा यूं हड़कंप

      “जिस खिड़की से गणेश के फांसी लगाए जाने तस्वीर आयी है, वह भी संदेह के घेरे में है। शव के ऊपर गर्दन के अलावे अन्य निशान भी जाँच के दायरे में है….”

      नालंदा से दीपक विश्वकर्मा की विशेष रिपोर्ट

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। पुलिस कस्टडी में जेडीयू नेता के फांसी लगाए जाने के मामले में आईजी के आदेश पर नगरनौसा के थानेदार कमलेश कुमार, एएसआई बलीन्द्र राय और चौकीदार संजय पासवान को गिरफ्तार कर लिया गया। इससे नालंदा पुलिस नालंदा के पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।nalanda police criminal 4

      यही नहीं जिन जिन थानेदारों ने दो या तीन दिनों से अपने अपने थाने में लोगों को पूछ ताछ के लिए रखा था, उन्हें बाइज्जत अपनी पुलिस जीप से उनके घर पहुंचा दिया।

      बरहाल मामला तो गंभीर था ही। वह भी सत्ताधारी दल के एक नेता का। शायद थानेदार को यह नहीं मालूम होगा की गणेश रविदास नेता हैं। खैर छोड़िये थानेदार का पद ही रसूक वाला होता है।

      nalanda police criminal 1इधर गणेश के परिजन अस्पताल में हंगामा कर रहे थे। उधर नगरनौसा में उग्र ग्रामीण सड़क पर आगजनी कर पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। यही नहीं, उग्र ग्रामीणों ने पुलिस के ऊपर पथराव शुरू कर दिया। जिससे नूरसराय थानाध्यक्ष अभय कुमार, रहुई थानाध्यक्ष श्रीमंत कुमार सुमन, गिरियक सर्किल इंस्पेक्टर शेर सिंह यादव घायल हो गए।

      फांसी की खबर मिलते ही सूबे के आलाकमान ने तुरंत आईजी और डीआईजी को मौका ए वारदात पर भेज दिया  और तुरंत मामले की जाँच करने FACL की टीम नगरनौसा थाना पहुँच गयी।

      मृतक के परिजनों के आरोप पर आईजी ने थानाध्यक्ष कमलेश कुमार और दरोगा बलिंद्र रॉय और चौकीदार संजय पासवान को गिरफ्तार कर लिया गया।

      nalanda police criminal 2सूत्र बताते है कि जिस लड़की के अपहरण के मामले में गणेश को हिरासत में लिया गया था, उस लड़की के करबी रिश्तेदार पुलिस महकमे में उच्च पद पर आसीन हैं। यही कारण था कि इस मामले में पुलिस ने लड़के की माँ को गिरफ्तार कर दो दिन पहले ही जेल भेज दिया था।

      जिस लड़के पर आरोप था, वह गणेश का भतीजा है। जबकि एफआईआर में गणेश का नाम नहीं था। बाबजूद इसके पुलिस ने अपने रसूक का इस्तेमाल कर गणेश को दो दिन तक अपने कस्टडी में रखा।

      इस कांड का एक पहलू यह है की जब गणेश के पुत्र पिता से मिलने थाने पहुंचे तो उसे मिलने नहीं दिया गया और जब गणेश की मौत हो गयी। तब भी उसके परिजनों को शव देखने नहीं दिया गया।nalanda police criminal 3

      यह सभी प्रकरण पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करता है। जिस खिड़की से गणेश के फांसी लगाए जाने तस्वीर आयी है, वह भी संदेह के घेरे में है। शव के ऊपर गर्दन के अलावे अन्य निशान भी जाँच के दायरे में है।

      जिस प्रकार गणेश के साथ पुलिस ने कार्रवाई की, उसकी कानून इजाजत नहीं देता है। मगर कानून के रखवाले ही कानून की धज्जियाँ उड़ाए तो स्वचछ और भयमुक्त बिहार बनाने का मुख्य मंत्री का सपना कैसे साकार होगा, यह एक बड़ा सवाल है।

      बहरहाल इस त्वरित करवाई से गणेश रविदास के परिजनों को इन्साफ की थोड़ी उम्मीद उम्मीद जगी दिख रही है।

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