“मांझी ने हांथ बढ़ाया तो नीतीश ने लपक कर उन्हें गले लगाया। लेकिन सुशील कुमार मोदी से नजर तक नहीं मिलाया। न दुआ, न सलाम। मोदी निहारते रहे, नीतीश उनके सामने से निकल गये…..!”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार की सियासत की यह नयी तस्वीर भविष्य में होने वाले उलट-फेर और बनने वाले नये गठजोड़ की झलक है।
बीते दिन एलजेपी सुप्रीमो रामविलास पासवान और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (से) के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के आवास पर अलग-अलग आयोजित दावत-ए-इफ्तार की है।
दोनों की दावतों पर मीडिया और राजनीतिक समीक्षकों की नजरें लगी थीं। फोटोग्राफरों के कैमरे फ्रेम-दर-फ्रेम नीतीश-मांझी-मोदी की गतिविधियां कैद कर रही थीं।
नीतीश सबसे पहले रामविलास पासवान की दावत में पहुंचे। सुशील मोदी वहां पहले से विराजमान थे। पासवान ने आगे बढकर नीतीश का स्वागत किया। मोदी शून्य में निहारते रहे। पासवान बीच वाले सोफे पर बैठे। अगल-बगल के सोफे पर नीतीश और मोदी थे।
पासवान और नीतीश हंस-हंस कर बतियाते रहे। मोदी भावशून्य होकर सामने देख रहे थे। नीतीश जब निकलने के लिए उठे तो हाथ जोड़ कर पासवान से इजाजत ली और निकल गये। मोदी उन्हें देखते रहे। नीतीश ने उनकी ओर देखा तक नहीं।
पासवान के घर से निलकर नीतीश सीधे मांझी के यहां पहुंचे। मांझी ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। मांझी ने नीतीश की ओर हाथ बढ़ाया तो नीतीश ने कहा, गले मिलिए! नीतीश और मांझी गले लग गये।
यह दीगर बात है कि बीजेपी और जेडीयू के प्रवक्ता बढ़-चढ़ कर गठबंधन धर्म की कसमें खा रहे हैं। लेकिन बिहार की सियासत करवट बदलने वाली है, यही हकीकत है।
जेडीयू की दावत-ए-इफ्तार में कल मांझी आये थे,आज नीतीश पहुंच गये, दोनों को लेकर कानाफूसी हो रही है। उधर नीतीश को लेकर राजद की कद्दावर नेत्री पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का भी अब नरम रुख देखने को मिल रहा है।
बिहार में अचानक दावत-ए-इफ्तार सियासी हो चला है तो उसकी खास वजह है। केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री का एक पद लेने से इंकार और बिहार में अपनी कैबिनेट का एकतरफा विस्तार करके सहयोगी दल बीजेपी के नेताओं की बोलती बंद करा देने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सबकी निगाहें टिकीं हैं।