“वह आज भी बीजेपी में है। बीजेपी से उनका शिकवा नहीं, लेकिन जिस तरह सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए के घटक दल जदयू ने खेल खेला है, उससे वह सहमत नहीं हैं और इसीलिए यहां से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने के लिए वह विवश हुई हैं…”
रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बांका लोकसभा सीट के लिए पूर्व सांसद एवं बिहार बीजेपी की उपाध्यक्ष पुतुल सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी नामजदगी का पर्चा भरा।
आज दोपहर अपने कुछ चुने हुए समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने समाहरणालय में नामांकन का पर्चा भरा। इस अवसर पर उनके प्रस्तावक वरिष्ठ भाजपा नेता नारायण शर्मा सलिल एवं हरेंद्र साह भी मौजूद रहे।
इससे पहले आज सवेरे से ही पूरे संसदीय क्षेत्र से उनके समर्थकों का सैलाब यहां उमड़ पड़ा। पुतुल सिंह समर्थकों को एकत्रित होने के लिए पीबीएस कॉलेज मैदान में जगह निर्धारित किया गया था जहां लोग आते गए और जमा होते गए।
नामांकन से पूर्व यहां एक विशाल जनसभा भी हुई जिसे संबोधित करते हुए पूर्व सांसद पुतुल सिंह ने कहा कि सीटों का इस तरह बंटवारा बिहार से बीजेपी को मिटाने की साजिश के अलावा और कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि दबाव बनाकर बाँका सीट जदयू ने हथिया लिया। जबकि वर्षों से यहां कड़ी मेहनत कर जिला से लेकर प्रखंड, पंचायत और बूथ स्तर पर जो जनाधार और कार्यकर्ता तैयार किए गए, वह बीजेपी की देन है। बीजेपी की बनाई जमीन को किसी और को साजिश की फसल लगाने के लिए वह, यहां की देशभक्त जनता और बीजेपी कार्यकर्ता नहीं दे सकते।
उन्होंने कहा कि वह बीजेपी की ताकत बढ़ाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत करने के लिए बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। क्षेत्र के 90% बीजेपी कार्यकर्ता उनके साथ हैं। भले ही बाँका सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई हो, लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र की जनता ने उनकी और देश की सेवा के लिए उन्हें सीधे संसद का टिकट देने का निर्णय लिया है और उन्हीं के भरोसे वह चुनाव मैदान में हैं।
इससे पहले उनके समर्थन में पूरे बांका संसदीय क्षेत्र से यहां जनसैलाब उमड़ा। बड़ी संख्या में लोगों ने बैंड बाजे और अरबी घोड़ा के काफिले के साथ रोड शो किया।
ज्ञात हो कि वर्ष 2009 में पुतुल सिंह के पति पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय दिग्विजय सिंह यहां से निर्दलीय चुनाव लड़े थे और तब राजद प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय जयप्रकाश नारायण यादव एवं जदयू के प्रत्याशी तत्कालीन आपूर्ति मंत्री बिहार दामोदर रावत को हराकर जीत दर्ज की थी।