अन्य
    Friday, April 19, 2024
    अन्य

      नालंदा लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आचरण को लेकर रोष

      एक तरफ जहां शासन-प्रशासन लोक शिकायत निवारण प्रणाली का प्रचार-प्रसार की दिशा में पूरी ताकत झोंक रखी है, वहीं सीएम नीतिश कुमार के गृह जिला नालंदा में  लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ठीक उलट आचरण करते दिख रहे हैं। इससे लोगों में काफी रोष देखा जा रहा है”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। राजगीर अनुमंडल के सिलाव डीह निवासी जयकांत कुमार ने बताया कि आज उनकी अनन्य वाद संख्या-527310227041800021 की नालंदा जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में सुनवाई नहीं की गई। जबकि इस सुनवाई की सूचना एक दिन पहले ही फोन करके बता दिया गया था।

      NALANDA LOK SHIKAYAT NIVARAN 1
      अनन्य वाद संख्या-527310227041800021 के वादी जयकांत कुमार…..

      उसी अनुरुप वादी अपने सहयोगी के साथ तैयारी करके पहुंचे थे और प्रतिवादी सिलाव नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी उपेन्द्र कुमार सिन्हा के प्रतिनिधि संजीव पांडेय भी उपस्थित थे। लेकिन अचानक जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह अपर समाहर्ता राजेश कुमार सिंह ठीक 2:45 बीच में सुनवाई छोड़ अचानक उठ कर चले गए।

      बताया जाता है कि वे सूचीबद्ध क्रमानुसार मामलों का निपटारा नहीं करते। मनमाफिक मामलों को निपटा कर चल देते हैं। आज वे फिर अनेकों मामले की बिना सुनवाई किये चले गये।

      श्री जयकांत कुमार एवं पुरुषोतम प्रसाद द्वारा दायर यह संयुक्त वाद राजगीर अनुमण्‍डल पदाधिकारी एवं सिलाव नगर पंचायत कार्यपालक पदाधिकारी की लापरवाही से हरेक साल पांच लाख रूपये से अधिक सरकारी राजस्‍व का नुकसान से जुड़ा है। वादी का आरोप है कि बिना व्‍यवसायिक टैक्‍स लिए पशु हाट सिलाव का संचालन उक्‍त दोनों कार्यालय के भ्रष्‍टकर्मी अवैध परितोष लेकर करा रहे हैं। उसे तुरंत बंद कराया जाय। 

      NALANDA LOK SHIKAYAT NIVARAN 3

      इस संबंध में महज पखवारा भर पहले कार्यभार संभालने वाले नालंदा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह अपर समाहर्ता राजेश कुमार सिंह ने एक्सपर्ट मीडिया न्यूज से जो कुछ भी कहा, वह काफी गंभीर और पारदर्शी व्यवस्था में चौंकाने वाले हैं।

      श्री सिंह का कहना है कि अभी जिला लोक शिकायत निवारण में 100 से 150 के आसपास मामले आ रहे हैं। अब जितनी हो पायेगी, उतनी ही हो पायेगी। एसे में नहीं कहा जा सकता कि वे कितने मामलों की सुनवाई सुन सकेगें।

      फोन करके बुलाकर मामले की सुनवाई नहीं होने से वादी-परिवादी को खर्च व परेशानी होने की बाबत उन्होंने दो टूक कहा कि, ‘….तो फिर वे मामले को वापस ले लें। हम कुछ नहीं कर सकते हैं।’

      उन्होंने एक लोक शिकायत निवारण व्यवस्था के तहत जनहित व सरकार हित समस्याओं को लेकर सक्रिय एक समाजसेवी का नाम लेते हुये कहा कि वे तो स्टार प्लेयर हैं यहां के। वैसे महानुभावों के कारण भी वादों की संख्या बढ़ी है, जो हर सप्ताह किसी न किसी मामले के वादी हैं।

      वादी और प्रतिवादी के उपस्थित होने बाबजूद बिना सुनवाई किये अचानक चले जाने की बाबत उन्होंने कहा कि वे सारे परिवादी के जाने के बाद उठे हैं।

      उन्होंने कहा कि यहां दो महीने तक लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नहीं थे। उन्होंने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी संजीव कुमार सिन्हा की सकारात्मक चर्चा करने पर कहा कि उन्हीं के कार्याकाल के दौरान मामलों की संख्या बढ़ी है।

      हालांकि श्री सिंह वतर्मान में लंबित मामले की संख्या ‘निश्चित तौर पर नही बता सकते’ कह कर टाल गये। 

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!