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    Tuesday, March 19, 2024
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      नालंदा के नगरनौसा में बेपटरी हुई शिक्षा व्यवस्था

      नगरनौसा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। शिक्षा विकास की आधार होती है, लेकिन ये हमारे देश की बदकिस्मती है कि मोबाइल और कंप्यूटर के इक्कीसवी सदी में भी हमारे देश की कुछ आबादी शिक्षा के बुनियादी अधिकारों से वंचित है।

      सरकारी आंकड़ो के हिसाब से भारत में साक्षरता दर महज 74 प्रतिशत है जिसका मतलब है कि आज भी हमारे समाज का हर चौथा व्यक्ति अशिक्षित है। आज के युग में शिक्षा के बिना देश के स्वर्णिम भविष्य की कल्पना करना भी बेईमानी होगी।education naganausa crime1

      अगर हम बात करें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहजिला नालंदा के नगरनौसा प्रखंड की तो यहां शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो बेपटरी हो गया। यहां आये दिनों पदाधिकारियो द्वारा विद्यालय के  औचक निरीक्षण के दौरान मिल रही खामियों से प्रखंड में चौपट शिक्षा व्यवस्था की हकीकत सामने आ रही हैं ।

      पदाधिकारियो के औचक निरीक्षण में बिना पूर्व सूचना के शिक्षकों को विद्यालय से अनुपस्थित रहने, समय पर विद्यालय नही खुलना,समय पूर्व विद्यालय बंद कर देना,शैक्षणिक समय मे शिक्षकों को बाजार घूमना आम बात हो कर रह गया है।

      निरीक्षण के दौरान पकड़े गए शिक्षक के ऊपर कोई करवाई नही होते देख प्रखंड के शेष शिक्षकों की भी सोच बदल रहा है। कुछ विद्यालय समय पर खुलते भी है तो वहां विद्यार्थियों को रोस्टर के अनुसार पढ़ाई नही होती।

      education naganausa crime2अगर हम प्रखंड के सभी संकुल संसाधन केन्द्रों के पोषक क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले विद्यालय की बात करे तो संकुल संसाधन केंद्र महमदपुर व सैदपुरा को छोड़ शेष सभी संकुल संसाधन केंद्र दामोदरपुर बलधा,सकरोढ़ा, लोदीपुर, प्रसडीहा के अंतर्गत आने वाले सभी पोषक क्षेत्रों के विद्यालयों की स्थिति वदवत्तर हो कर रह गया।

      एक नियमित शिक्षक बताते है कि प्रखंड में तीन वर्षों से अधिक समयो से प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का पद रिक्त होना भी कहीं न कहीं प्रखंड में गिरती शिक्षा व्यवस्था को लेकर जिम्मेवार है।

      प्रखंड में रेगुलर शिक्षा पदाधिकारी का नही होने से शिक्षकों का मनोबल बढ़ते जा रहा है जिसके बजह से शिक्षक मन मौजी विद्यालय आते हैं और जब मन होता तब विद्यालय से निकल जाते हैं।

      प्रभार में रहे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का रोजाना प्रखंड में आना होता नही है।जिससे प्रखंड क्षेत्र के दूरदराज इलाकों से लेकर मुख्यालय के आसपास के शिक्षकों आश्वस्त होकर विद्यालय आते और जाते हैं।

      जब प्रखंड के पदाधिकारियों द्वारा विद्यालय का औचक निरीक्षण किया जाता है और दोषी शिक्षकों पर करवाई करते हुए स्पस्टीकरण की मांग किया जाता है तो बीमारी का बहाना बनाकर स्पस्टीकरण पदाधिकारियो के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाता हैं।

      शिक्षकों के इस रवैया से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो दूर उनको सामान्य शिक्षा भी नसीब नहीं हो रहा है।

      प्रखंड में गिरती शिक्षा व्यवस्था से चिंचित प्रखंड विकास पदाधिकारी ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को शिक्षा व्यवस्था मजबूत करने को लेकर कई निर्देश दिए,लेक़िन प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा दिया गया निर्देश से प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा संकुल समन्वयकों को दिया गया आदेश का पालन संकुल समन्वयकों द्वारा नही किया जा रहा है।

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