अन्य
    Friday, April 19, 2024
    अन्य

      नालंदा : आवास पर्यवेक्षक के भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच या नौटंकी ?

      बिहार के सीएम नीतिश कुमार के गढ़ नालंदा जिले में हर तरफ भ्रष्टाचार है। इसे स्वीकारना या न स्वीकारना सरकार और प्रशासन की अपनी मर्जी है। लेकिन अत्यंत चिंता की बात है कि एक तरफ जीरो टॉलरेंस का ढिढोंरा और दूसरी तरफ भ्रष्टाचारियों का नंगा नाच। अगर कोई यहां भ्रष्टाचार को लेकर मुखर हुआ तो उसे लेकर दबाने-बचाने का प्रशासनिक खेल शुरु। सीएम के गृह विधानसभा हरनौत के चंडी प्रखंड प्रमुख, उप प्रमुख, 22  में 20 पंसस और एक मुखिया ने एक अदद आवास पर्यवेक्षक के भ्रष्टाचार से उब कर डीएम के समक्ष इस्तीफा देने पहुंच गये। डीएम ने अंततः जांच के आदेश दिये। जांचकर्ता डीआरडीए निदेशक सरेआम घोर-मठ्ठा कर रहे हैं। ” 

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज टीम। मि. क्लीन सुशासन बाबू के गृह जिला नालंदा के चंडी प्रखंड में आवास पर्यवेक्षक पर भ्रष्टाधिकारी होने का आरोप पंचायत समिति सदस्यों ने लगाया है।

      nalanda dm chandi crouption

      इसकी शिकायत डीएम से करते हुए सदस्यों ने सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला लिया था, लेकिन डीएम ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि एक माह के अंदर उक्त अधिकारी के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने सदस्यों से सहयोग की अपील भी की थी।

      लेकिन अब डीएम के निर्देश पर जो जांच की तस्वीर सामने आ रही है। उससे लगता है कि आवास पर्यवेक्षक पर जांच नहीं, जांच के नाम पर सिर्फ़ नौटंकी चल रही है।

      एक तरफ पंचायत समिति सदस्य भ्रष्टाधिकारी के खिलाफ लाम बंद है तो दूसरी तरह चंडी प्रखंड के सभी आवास सहायक अपने बॉस आवास पर्यवेक्षक के सहयोग में खड़े दिख रहे हैं ।

      chandi nalanda cruption 3डीएम के निर्देश पर शुक्रवार को डीआरडीए के डायरेक्टर संतोष कुमार श्रीवास्तव गंगौरा पंचायत में आवास गड़बड़ियों तथा आवास योजना में नजराना वसूली की जांच करने पहुँचे थे। उनके साथ प्रखंड के सभी आवास सहायक पहुँच गए। जब डायरेक्टर लाभुको से पूछताछ कर रहे थे, तब सभी आवास सहायक एक सुर में गड़बड़ी की शिकायत को झूठ बतलाया।

      जब पंचायत समिति सदस्य दयानंद और लाभुक कुछ बोलते, सभी आवास सहायक चील-कौओं की तरह अफनी अपनी बात करने लगे।

      कुछ लोगों को आवास सहायक के द्वारा यह पाठ पढ़ाया गया कि जांच के दौरान बोलना कि मुखिया को पैसे नहीं दिया तो उन्होंने आवास का लाभ नहीं दिया गय।

      सबाल उठता है कि जब गंगौरा पंचायत की जांच की गई तो डीआरडीए के डायरेक्टर के सामने सभी पंचायत के आवास सहायक को जाने की क्या जरूरत थी। जबकि ऐसे में जांच साफ प्रभावित होता है।क्या आवास सहायक भ्रष्टाचार का साथ दे रहे हैं या अपने बॉस की नमक हलाली कर रहे हैं ।

      chandi nalanda crouption 1जिले के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के द्वारा चंडी के आवास पर्यवेक्षक के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोप की जांच शुरू हो चुकी है। लेकिन जांचकर्ता पदाधिकारी ही जांच में उनको लेकर चल रहे हैं, जो पंचायतों में भ्रष्टाचार की जननी बने हुए हैं। प्रखंड के सालेपुर, गंगौरा, नरसंढा, महकार आदि कई पंचायत में आवास योजना में भारी गड़बड़ी की शिकायत मिलती रही है।

      पंचायत समिति सदस्य दयानंद यादव ने बताया कि अकेले सालेपुर पंचायत में वैसे लोगों को आवास का लाभ दे दिया गया जिनके परिवार में लोगों की नौकरी है, पहले से पक्का मकान बना हुआ है। वहीं गंगौरा में भी भारी गड़बड़ी है। अगर ऐसे ही जांच चलता रहा तो डीएम के द्वारा आदेश का क्या फायदा।

      डीआरडीए के डायरेक्टर के द्वारा जिस तरह जांच की बात सामने आ रही है। उससे साफ प्रतीत होता है कि प्रखंड में जांच के नाम पर नौटंकी चल रही है। जिसका अंतिम परिणाम सबको पता है।

      आखिर में आवास पर्यवेक्षक को क्लीन चिट मिलना तय। आखिर कब तक भ्रष्टाचार के हमाम में सब नंगे नहाते रहेंगे? और उसी आशंका को बल मिलेगा कि सुशासन बाबू किसी भी हालत में अपने गृह जिले में भ्रष्टाचार के मामले उजागर होते पंसद नहीं करते, चाहे उसकी सड़ांध आम जन की नाकदम क्यों न कर रखा हो।

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!