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    Tuesday, March 19, 2024
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      थाना बना दवाई खाना, शराबबंदी के यूं उड़ रहे चिथड़े, देखिए मिसाल

      बिहार सरकार जितना भी दावे करें, शराबबंदी लागू करने का सारे प्रयास विफल होते देखें जा रहें हैं। शराबबंदी कानून सख्ती से लागू करने की जिम्मेवारी निभाने वाले बिहार पुलिस शराबबंदी कानून आने के बाद सुर्खियों में रहना आम बात हो गई.…….”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (दीपक कुमार)। फिलहाल बात कर रहे हैं बेगूसराय जिला के बखरी थाना क्षेत्र अंतर्गत परिहारा ओपी का, जहां पुलिस फिर सुर्खियां बटोर रही है।

      मामला है एक जनवरी को शराबी को गिरफ्तार करना। और जब उसी शराबी का विडियो सोशल मीडिया पर तहलका मचाने लगी तब पुलिस को अपने पुलिसकर्मी को बचाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते देखें जा रहें हैं।open wine crime on police protection 5

      अब सवाल उठता है कि यहीं जिला पुलिस जितना शराब तस्कर हो या शराबी से किस तरह वफादारी निभानें में लगें हुए हैं, वहीं इसकी सही इस्तेमाल काश अगर शराबी हो या शराब तस्कर उसे सजा दिलाने में करतें तो कितना मजबूत कानून बनता शराबबंदी कानून।

      शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू नहीं करने वाले अधिकारियों पर जब बिहार सरकार कड़ाई करने लगें, तब अब शराबी को बचाने के लिए नये-नये उपाय करने से पीछे नहीं रह रहें हैं।

      चलिए अब एक-एक बातें और वायरल विडियो की सच्चाई आप लोगों के समक्ष खोलते हैं जिससे खुद समझ सकते हैं कि कैसे शराबी हो या शराब तस्कर बचाते दिखते हैं। पूरी मामला पर प्रकाश डालते हैं।

      मामला है बखरी थाना क्षेत्र के परिहारा ओपी का जहां ग्रामीणों ने परिहारा ओपीध्यक्ष को फोन के द्धारा सूचना दिया कि एक व्यक्ति नशें में धुत सांखू चौक से 100 मीटर पश्चिम अपने टेंपों पर बेहोश अवस्था में पड़ा हुआ है।

      जिस पर पुलिस द्धारा फौरन सूचना मिली स्थान पर जांच के लिए भेजा गया, जिसमें एक व्यक्ति सही में बेहोश पड़ा हुआ था। परिहारा ओपी की गाड़ी से थाना लेकर आ जाया गया। फिर उसका मेडिकल जांच नहीं करवा कर सुबह में ओपी से ही मुक्ति मिल गई।

      वहीं इस खबर की जग-जाहिर तब हुआ जब खुद ओपी से छुटे व्यक्ति का विडियो सोशल मीडिया पर धूम मचाने लगी जिसमें खुद शराबी को कहते सुना व देखा जा सकता है कि जब स्टिंगर द्धारा पूछा गया कि आपको कैसे शराब के सेवन करने के बाद ओपी से मुक्ति कैसे मिल गई तब खुद बता रहा है कि सभी को मुक्ति नहीं मिलता है।

      जब इस मामले की विडियो सोशल मीडिया पर तेजी से चलने लगा तब थानेदार जी किरकिरी शुरू हो गई, तब एक नई तरकीब अपनाई गई जिसमें शराबी को कुछ लोगों के द्धारा सिखाया जा रहा है, जिसमें बता रहा है कि ठंड लगने का बहाना बनाओं जिसका डॉक्टर द्धारा कागज भी तैयार कर लिया जायेगा और तुम पर भी कोई कार्रवाई नहीं होगी।open wine crime on police protection 2

      साथ ही जो थानेदार शराबी को थाना से मुक्त किया उसपर भी कोई कार्रवाई नहीं होगा। और मामला खत्म हो जायेगा। हुआ भी वही। शराबी ने पुलिस विभाग के आला अधिकारी से पूछताछ के बाद ठंड लगने का बहाना अवश्य बना दिया।

      वहीं इस बयान का कागजी कार्यवाही कर पुलिस पर फिर किरकिरी शुरू हो गया। अब खुद अपने द्धारा बनाएं रास्ते में फंसते दिख रहें हैं। मामला तब जगजाहिर तब होते दिख रहा है, जब खुद एक विडियो में खुद बता रहा संजय केसरी कि उसको शराब पिये हुए बहुत सारे लोगों ने देखा।

      उसके इकरारनामा ने जिला पुलिस के कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न अवश्य खड़े कर रहा है।  वहीं सवाल भी बन रहा है जिसका जवाब जिला पुलिस को अवश्य देना चाहिए।

      पहला सवालः अब जिला पुलिस ठंड लगने के बाद गिरफ्तार कर थाना लेकर जातें हैं । कहीं थाना में अस्पताल तो नहीं खुल गया और अब थानेदार ,थानेदारी छोड़कर  डॉक्टरी का काम शुरू कर दिए।

      दूसरा सवालः इतना अच्छे थे ओपीध्यक्ष तो उसी के कथन अनुसार ठंड लगा था तब डॉक्टर के पास क्यों नहीं ले जाया गया, कहीं थाना में गर्म हवा निकलने वाला हीटर तो नहीं लगा हुआ है।

      तीसरा सवालः पुलिस के कथन अनुसार ठंड लगी थी तब थाना लेकर आ गया अगर किसी प्रकार अन्होनी अगर हो जाता या ठंड के कारण उस व्यक्ति की अगर मृत्यु हो जाता तब उसका जिम्मेवार कौन होता।open wine crime on police protection 3

      चौथा सवालः खुद ठंड लगने के बाद पिड़ित भूल गया था कि उसे ठंड मारा, तब आखिर इतनी बड़ी घटना कैसे भूल गया उसे नहीं मालूम था कि उसका ईलाज कहां हुआ कहीं ये व्यक्ति थानेदार के करीबी तो नहीं था जो कि ईलाज का सारा खर्च वहीं दिया।

      पांचवां सवालः जहां खुद संजय केसरी बता रहा है कि थाना से वापस सुबह घर आने के बाद नशा खत्म हुआ ये कौन सी ठंड थी जिसमें शराब का नशा ऐसा आनंद आता है।

      छठा सवालः जब पीने वाला खुद कैमरे पर बता रहा है वो अत्यधिक शराब के नशें में था तब आखिर कौन सही है, थानेदार का कथन या खुद कबूल करने वाला।

      सातवां सवालः जहां बड़ी से बड़ी घटना में मामला जांच करने में विडियो फुटेज की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है, वहीं पुलिस वाले के ऊपर किसी कार्रवाई में विडियो की मान्यता क्यों नहीं दी जाती है।

      आठवां सवालः जहां सोशल मीडिया पर बताया जाता है संजय केसरी की पत्नी का बयान कि उसके पति शराब के सेवन नहीं करते हैं, तब खुद संजय केसरी ने घर में नहीं बताया कि उसने खुद बताया और सैकड़ों लोगों ने शराब के नशें में देखा ताकि पति-पत्नी का कथन एक हो सकता था।

      नौवीं सवालः कौन परिहारा ओपी के थानेदार पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया और बेवजह थानेदार के विरूद्ध अफवाह फैलाया, तब ऐसे बयान देने वाले के ऊपर धोखाधड़ी, मानहानि, एवं अन्य धाराओं के तहत क्यों नहीं मामला दर्ज किया गया?open wine crime on police protection 4

      दसवीं सवालः ऐसी बातें नहीं है ये जिला पुलिस की ओर से पहली बार हुआ है इससे पहले भी जहां 18 मार्च 2018 की मध्य रात्रि में सिंघौल ओपी क्षेत्र के मचहा बांध पर पुलिस ने शराब लदा एक पिकअप वैन जब्त किया था। जिसमें करीब 1 घंटा 20 मिनट बाद सीसीटीवी फुटेज में देखा जा रहा है कि एक व्यक्ति हाथों में शराब का‌ कार्टुन दबाएं हुए जा रहा है।

      ग्यारहवीं सवालः जब्त पिकअप वैन से 1 घंटा 20 मिनट बाद शराब लेकर जा रहा था व्यक्ति तब डियूटी पर तैनात एएसआई नगीना यादव और उसकी टीम किस कारण संलिप्तता नहीं पाई गई।

      बारहवीं सवालः चकिया ओपी से शराब बिक्री का वायरल हुआ था विडियो में देखा जा रहा है कि उस समय मौजूद एस आई सुमित कुमार घर में मौजूद हैं परछाई बिना मौजूद रहें लोगों के नहीं आ सकता है तब कैसे क्लीन चिट मिला पूर्व चकिया ओपी के ओपीध्यक्ष को।

      तेरहवीं सवालः कौन से आदेश पर उस समय मौजूद पूर्व चकिया ओपीध्यक्ष व वर्तमान बांका जिला के अर्नव थानाध्यक्ष अपने घर को ही मालखाना के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे और जब्त शराब अपने कमरें में रखता था?open wine crime on police protection 1

      चौदहवीं सवालः शराबी को गिरफ्तार करने के बाद किस लिए फौरन नहीं हुआ मेडिकल जांच मिडिया में खबर चलने के बाद थानेदार को आई फर्जी डॉक्टरी रिपोर्ट बनाने की याद।

      बताएं कि जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी को अपने सबसे प्रोजेक्ट में एक माना है वहीं बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को ब्रांड एम्बेसडर के रूप में नशामुक्ति अभियान को बढ़ावा दिया जा रहा है।

      वहीं जिला के बुद्धिजीवी की अगर मानें तो शराबबंदी प्रोजेक्ट से बिहार के मुख्यमंत्री का सराहनीय कार्य अवश्य रहा जिससे करीब 4 हजार रुपए प्रतिवर्ष की राजस्व का नुकसान होते अवश्य देखा जा रहा है।

      वहीं कुछ पुलिस वाले इस प्रोजेक्ट को अपना कमाई का जरिया अवश्य बना लिए हैं, वहीं वैसे पुलिसकर्मी को बचाने के लिए पूरी जांचकर्ता एक हो जाते हैं। जिससे आमजनों के बीच शराबबंदी कानून को लेकर गलत संदेश जाना लाजिमी है।

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