एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। झारखंड के धनबाद जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय गोल्फ ग्राउंड में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान जिस मेधा डेयरी की झांकी को बड़े ही तामझाम के साथ लोगों के बीच प्रस्तुत किया गया, दरअसल धरातल पर यह योजना कब की दम तोड़ चुकी है।
खबर है कि किसानों को स्वावलंबी और मजबूत बनाने के निर्णय का फिलहाल कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा है। पांच हजार लीटर दूध उत्पादन का लक्ष्य तैयार कर 2 अक्टूबर 2008 में बने मेधा डेयरी में 1000 लीटर से अधिक दूध कभी नहीं पहुंचा।
तकनीकी दिक्कतों और पशुपालकों के विवाद के कारण 2011 में इस प्लांट का उत्पादन पूरी तरह ठप्प कर दिया गया। झारखंड के पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक ने प्लांट को दोबारा शुरू कराया लेकिन कुछ महीनों बाद ही इसकी फिर वही दशा हो गई।
भुदा में तैयार की गई इस डेयरी में वर्तमान समय में केवल 400 से 500 लीटर दूध ही पहुंच रहे हैं, जिसे ठंडा कर पैकेजिंग के लिए रांची डेयरी भेजा जा रहा है।
बता दें कि 2016-17 में ही इसका संचालन नेशनल डेयरी डेवलपमेंट द्वारा होना था लेकिन अभी तक यह मामला अटका हुआ है।
80 लाख की लागत से बना ये प्लांट जमीनी स्तर पर सफल नहीं हो पाया है। पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक का इसे फिर से शुरू कराने का प्रयास भी सफल नहीं हो पाया।
प्लांट की वर्तमान स्थिति को देखकर यही लगता है कि सरकार की ये महत्वाकांक्षी योजना पर अब पूरी तरह फेल हो चुकी है। राज्य सरकार का किसानों की आर्थिक हालात बदलने की ये योजना नाकाम साबित हो रही है।