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    Saturday, April 20, 2024
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      काश, एक साल पहले मीडिया रिपोर्ट की गंभीरता को समझ लेते विधायक जी!

      ऐसे में पुलिस की विश्वसनीयता और जांच दोनों ही सवालों के घेरे में है। साथ ही हत्याकांड के चश्मदीद गवाह को भी खतरा हो सकता है। चाहे वह खतरा किसी भी रूप में हो…”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बीते रविवार को सरायकेला खरसावां जिला के सरायकेला थाना अंतर्गत बीरबांस गांव के बुद्धेश्वर महतो हत्याकांड को लेकर खरसावां विधायक दशरथ गगराई ने जिले के उपायुक्त को पत्र लिखा है, जिसमें क्षेत्र में जमीन माफियाओं द्वारा मूल रैयतों की जमीनों को औने पौने दाम पर खरीद बिक्री का आरोप फर्जी इनफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क के प्रोपराइटर राजकुमार अग्रवाल और रंजीत सिंह पर लगाया है।

      उन्होंने उपायुक्त को लिखे पत्र में पूरे इंडस्ट्रियल पार्क द्वारा खरीदे गए जमीन की जांच कर दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। वैसे यह पत्र विधायक ने तब लिखा है जब एक युवक की जमीन विवाद में निर्मम हत्या हो गई और लोग सड़क पर उतरने को बाध्य हो गए।

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      बता दें कि विधायक दशरथ गगराई अगर 1 साल पूर्व मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर सक्रिय होते और मामले की गंभीरता को समझते तो आज यह नौबत नहीं आती।

      फिलहाल देर से ही सही अब तो फर्जी कंपनी के नाम पर मूल रैयतों के जमीनों के एवज में फर्जीवाड़ा  करने वाले जमीन माफियाओं के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करें, क्योंकि सरकार भी अब झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के महागठबंधन की है।

      बुद्धेश्वर कुम्भकार हत्याकांड के पीछे बड़ी साजिश हाई लेवल जांच जरूरी बीते रविवार को बुद्धेश्वर महतो हत्याकांड के पीछे जिस जमीन विवाद को लेकर हत्या की बात बताई जा रही है वह केवल आई वॉश हो सकता है।

      पुलिस को दिए गए जानकारी के अनुसार गांव के जाहेर थान की जमीन को दूसरे सम्प्रदाय को बेचे जाने के विरोध में हुए विवाद में इस हत्याकांड को अंजाम दिए जाने की  बात कही जा रही है।

      हालांकि पुलिस ने हत्याकांड से जुड़े मुख्य आरोपी अनवर सहित अन्य दो अपराधी अख्तर और आसिफ को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। वहीं ग्रामीण सूत्रों की अगर माने तो जिस युवक की हत्या हुई है, वह पूर्व में इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क के लिए जेवीएम जिला अध्यक्ष शंभू मंडल के साथ मिलकर काम कर रहा था।

      उस वक्त ग्रामीणों द्वारा विरोध किए जाने पर यह युवक इनफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क के साथ खड़ा था, लेकिन बाद में इसका किसी बात को लेकर इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क के साथ विवाद हो गया और यह ग्रामीणों के साथ वापस आकर मिल गया।

      उसके बाद बीते रविवार को बुद्धेश्वर महतो की  मेला देख कर लौटने के क्रम में  देर रात  हत्या कर दी गई। वैसे घटना के वक्त मृतक के साथ गांव का ही एक अन्य युवक घासीराम भी था, जो किसी तरह जान बचाने में सफल रहा और उसने ही ग्रामीणों को आकर घटना की सूचना दी थी, तब ग्रामीण एकजुट होकर घटनास्थल पर रात को ही जुट कर हत्या के विरोध में पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी तक शव नहीं उठाने दिया।

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      हालांकि बाद में कड़ी सुरक्षा के बीच शव उठवाया गया था। इस हत्याकांड का चश्मदीद गवाह भी घासीराम है।  वैसे पूरा प्रकरण सवालों के घेरे में है और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच जरूरी है।

      पुलिस की भूमिका पर उठने लगे सवाल, चश्मदीद गवाह को हो सकता है खतराः घटना के बाद भले ही पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, लेकिन घटना के बाद प्रारंभिक जांच से ही पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है।

      बता दें कि 2 दिन पूर्व चश्मदीद गवाह घासीराम को फोन से जरूरी काम का हवाला देकर थाना बुलाया गया, वैसे घासीराम ने बगैर ग्रामीणों के साथ लिए थाना जाने से इंकार कर दिया।

      हालांकि पुलिस ने उसे भरोसा दिलाया कि उसे कोई खतरा नहीं होगा लेकिन घासीराम थाना नहीं पहुंचा। उधर ग्रामीण सूत्र बताते हैं कि घटनास्थल से जब सामानों की जब्ती सूची बनाने के दौरान दो-तीन ग्रामीणों को  गवाही के लिए थाना बुलाया गया।

      जहां पुलिस द्वारा चश्मदीद घासीराम की भूमिका पर सवाल उठाकर ग्रामीणों के मन में शंका पैदा किए जाने का प्रयास किया गया। हालांकि ग्रामीणों ने पुलिस की मंशा को भांप लिया और इसकी जानकारी ग्रामीणों को आ कर दी।

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      क्या है पूरा मामला: जिले के बीरबांस गांव के ग्रामीणों से फर्जी इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क के नाम पर इस शर्त पर जमीन लिया गया था, कि जमीन के एवज में ग्रामीणों को उचित मुआवजा और कंपनी में नौकरी दी जाएगी।

      इसके लिए स्थानीय नेता तत्कालीन जेवीएम जिलाध्यक्ष और मारे गए झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता बुद्धेश्वर महतो ने जमीन कारोबारियों इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क के प्रोपराइटर राजकुमार अग्रवाल और रंजीत सिंह का सहयोग किया था। और ग्रामीणों से जमीन की डील करवाई थी।

      उधर जमीन की डील होते ही इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क ने ब्रिक्स इंडिया, श्याम इंडस्ट्रीज, मल्टीटेक ऑटो लिमिटेड सहित चार पांच बड़ी कंपनियों को जमीन बेच दिया। उधर सभी कंपनियां एक-एक कर अस्तित्व में आती चली गई।

      वहीं ग्रामीण जब उक्त कंपनियों में नौकरी की मांग करने पहुंचे, तो उन कंपनियों द्वारा यह कह कर बैरंग लौटा दिया गया, कि आपने इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क को जमीन दिया है आप उनसे नौकरी की मांग करें।

      ग्रामीणों ने जब इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क के प्रोपराइटर रंजीत सिंह और राजकुमार अग्रवाल से संपर्क किया तो पता चला कि इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क अस्तित्व में है ही नहीं।

      उधर आयडा यानि आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी जो अब जियाडा के रूप में जानी जाती है, उसने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि हमारे यहां ऐसा कोई भी इंडस्ट्रियल पार्क रजिस्टर्ड नहीं है।

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      अब ग्रामीण करे तो क्या करें।  स्थानीय प्रशासन इस मामले में चुप्पी साधे रखी, हालांकि उस वक्त मीडिया में यह मामला खूब छाया रहा, लेकिन ना तो प्रशासन ने इस दिशा में कदम उठाए, ना सरकार ने। तब भी क्षेत्र के विधायक दशरथ गागराई ही थे।

      उस वक्त उन्होंने ग्रामीणों की लड़ाई लड़ने का भरोसा दिलाया था, लेकिन सरकार नहीं होने के कारण वे ज्यादा कुछ खास नहीं कर सके। हालांकि तत्कालीन एनडीए सरकार की अंतिम बैठक में इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क को मान्यता देने का प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया था।

      यहां ये भी बताते चलें कि रंजीत सिंह और राजकुमार अग्रवाल का पूर्व की एनडीए सरकार में अच्छी पकड़ थी और यही कारण रहा कि एनडीए सरकार ने जाते- जाते इनफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क को अंतिम बैठक में लिस्टेड करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी थी।

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