राजगीर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा जिले के राजगीर नगर पंचायत कार्यालय से गायब फाइलों की बाबत दर्ज प्राथमिकी में खुद के घसीटे जाने को लेकर अनुबंध पर कार्यरत कनीय अभियंता कुमार आनंद बड़ा सवाल उठया है।
उन्होंने राजगीर थानेदार, डीएसपी एवं नालंदा एसपी को प्रेषित आवेदन में लिखा है कि उन्हें विगत 23 नवंबर को दर्ज राजगीर थाना कांड संख्या-437/19 में अनेक धाराओं के तहत नामित किया गया है।
जबकि नगर कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा पत्रांक-3215, दिनांकः 20.11.2019 से योजनी का प्राक्कलन प्रस्तुत करने हेतु स्पष्टीकरण की मांग की गई थी। जिसके आलोक में जबाव दिया गया कि 17 नवंबर,2018 को प्राकल्लन की तकनीकी स्वीकृति के उपरांत सभी प्राक्कलन निम्न वर्गीय लिपिक रवि कुमार को प्राप्त हो गई थी, क्योंकि उक्त योजना का कस्टोडियन तकनीकी स्वीकृति के उपरांत योजना से संबंधी कर्मचारी ही होते हैं।
योजना का प्राक्कलन संचिकाबद्ध होकर योजना से संबंधी कर्मचारी अपने कस्टडी में रखते हैं, ताकि कार्यालय द्वारा निविदा प्रकाशन एवं आगे की प्रक्रिया की जा सके।
ज्ञात हो कि निम्मवर्गीय लिपिक रवि कुमार द्वारा अपने स्पष्टीकरण में साफ-साफ बताया गया है कि मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के NIT-04/05/19-20 का प्राक्कलन तैयार किया गया था, जो कुल 45+10= 55 योजनाओं का प्रक्कलन था।उस पर तकनीकी स्वीकृति बिहार शरीफ बुडको के कार्यपालक अभियंता से कराकर लाया गया था, जो सभी प्रक्कलन कार्यालय से कहीं गुम हो गया है एवं काफी खोजबीन के बाद नहीं मिल रहा है।
इससे साफ स्पष्ट है कि कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा मांगा गया प्राक्कलन निम्नवर्गीय लिपिक रवि कुमार को प्राप्त थी,जो अन्यत्र गुम हो गई। लेकिन थाना को प्रेषित सूचना में कनीय अभियंता कुमार आनंद का नाम भी जोड़ते हुए दिया गया और हद की बात है कि उन्हें नामजद आरोपी बना दिया गया है।