पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। राजधानी पटना में दबंग और उंची पहुच वाले किस तरह सरकारी जमीन पर कब्जा कर उस पर धडल्ले से निर्माण कार्य करा रहे है इसका एक ज्वलंत उदाहरण कंकडबाग स्थित आवास बोर्ड का पार्क नंबर-2 है।
कंकडबाग थाना जाने के रास्ते के ठीक विपरित रास्ते में स्थित है सचिवालय कॉलोनी। इस कॉलोनी की जमीन का पंजीयन ‘पटना सचिवालय आफिसर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड’ करती रही है।
वर्ष 1991-92 में रेवती रमण प्रसाद सिंह नामक एक व्यक्ति ने सोसाइटी के तत्कालीन सचिव महेन्द्र शर्मा जो सचिवालय कॉलोनी के निवासी भी नहीं थे से इस कॉलोनी में स्थित सरकारी पार्क को अपने नाम लिखवा लिया।
सोसाइटी का यह नियम है कि जिस व्यक्ति का अपने नाम से पटना में किसी दूसरी जगह जमीन या मकान हो, उन्हें सचिवालय कॉलोनी में जमीन का आवंटन नहीं किया जाएगा।
रेवती रमण प्रसाद सिंह और उनकी पत्नी के नाम से पूर्व में ही पटना में मकान था। फिर भी उन्होंने छल से आवंटन करा लिया और कालांतर में आवास बोर्ड के सरकारी पार्क पर निर्माण भी कराने लगे।
वर्ष 2012 में जब सोसाइटी के पदाधिकारी बदले और योगेन्द्र प्रसाद सिंह ने नए सचिव के रुप में पदभार ग्रहण किया तो उनका ध्यान इस पार्क की कब्जायी जमीन पर गई।
तब उन्होंने सोसाइटी की ओर से पटना उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर पार्क की सरकारी जमीन को रेवती रमण प्रसाद के कब्जे से मुक्त कराने का आग्रह किया।
महेन्द्र प्रसाद सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने इस जमीन पर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगाते हुए पटना के जिलाधिकारी से इसपर रिपोर्ट मांगी