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    Tuesday, March 19, 2024
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      उलझा नाबालिग छात्रा की थाना में शादी का मामला, पुलिस को क्लीन चिट, ठंडे बस्ते में बाल संरक्षण आयोग का रिपोर्ट

      राजनगर थाना पुलिस, राज्य सरकार और राज्य महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को 8 दिसम्बर 2018 को सौंपे गए राज्य बाल संरक्षण आयोग के जांच रिपोर्ट को झूठा साबित करते हुए पूरे मामले में खुद को क्लीन चिट दे दिया है…………………..”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। सरायकेला- खरसावां जिले के राजनगर थाना में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की नाबालिग छात्रा की शादी मामले में नाटकीय मोड़ आ गया है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी के 28 नवम्बर 2018 के रिपोर्ट को आधार मानकर राजनगर थाना पुलिस खुदको पाक साफ साबित करने में जुटी हुई है।BAL CRUPTION 3 1

      बाल संरक्षण अधिकारी ने अपने रिपोर्ट में साफ कर दिया था कि नाबालिग छात्रा गंगा महतो की शादी बनकाटी गांव में समाज के सामने रीति रिवाज के साथ हुई है। बाल संरक्षण अधिकारी ने अपने रिपोर्ट में युवक राजीव महतो, उसके पिता गोवर्द्धन महतो, छात्रा का चाचा नरेराम महतो (अब मृत),  के साथ छात्रा की मां जानकी महतो एवं दोनो गावों के सौ ग्रामीणों को ही पूरे मामले में दोषी ठहरा दिया है।

      जबकि थाना के तत्कालीन प्रभारी यज्ञ नारायण तिवारी और एएसआई अनिल ओझा को पूरे मामले में क्लीन चिट दे दिया है। वहीं राज्य बाल संरक्षण आयोग ने अपने आठ पन्नो के रिपोर्ट में साफ तौर पर नाबालिग छात्रा की शादी पुलिसकर्मियों के दबाव में थाने में कराए जाने का जिक्र किया है।

      इसका मतलब साफ हो गया है कि राज्य बाल संरक्षण आयोग के रिपोर्ट को राजनगर थाना पुलिस और मामले की आईओ ने दरकिनार करते हुए जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी के 28 नवंबर के रिपोर्ट को सही मानते हुए पूरे मामले को नाटकीय मोड़ दे दिया है। जबकि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी भी आयोग के साथ जांच के वक्त मौजूद थे।

      BAL CRUPTION 4ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अपने ही आयोग को गलत रिपोर्ट को किसके दबाव में दिया ? क्या आयोग के साथ उस वक्त मौजूद बाल संरक्षण पदाधिकारी ड्यूटी के बजाए कुछ और ही खेल की पृष्ठभूमि तैयार कर पहुंचे थे ? वैसे अब ये तय बाल संरक्षण आयोग को करना है कि उनके द्वारा तैयार किया गया रिपोर्ट सही है या गलत! आखिर आयोग के रिपोर्ट को उसी विभाग के अधिकारी झुठलाने की हिमाकत कैसे कर सकता है? 

      वहीं निचले अधिकारी के पुराने रिपोर्ट के आधार पर पुलिस खुद को क्लीन चिट मिला मानकर आरोपी युवक राजीव महतो,  पिता गोवर्द्धन महतो, छात्रा के चाचा नरेराम महतो  (अब मृत) और छात्रा की मां जानकी महतो के साथ बनकाटी और बड़ा कदाल गांव के सौ ग्रामीणों को बाल विवाह अधिनियम 2006 के तहत मामला दर्ज कर कोर्ट को सौंप दिया है। जहां से सभी आरोपियों के खिलाफ  वारंट निर्गत किया जा चुका है। वहीं दोनों ही परिवार के सदस्यों को राजनगर थाना पुलिस कोर्ट से बेल लेने के लिए दबाव बना रही है।BAL CRUPTION 6

      क्या है पूरा मामलाः बीते साल सरायकेला खरसावां जिला के राजनगर थाना अंतर्गत कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के कक्षा 9वी की छात्रा गंगा महतो दीपावली की छुट्टियों में अपने गांव बन काटी गई हुई थी, जहां से 10 नवम्बर 2018 को छात्रा अपनी बड़ी बहन के ससुराल बड़ामतैला गई थी।

      इसी बीच बड़ा कादल गांव का युवक राजीव महतो ने उसके साथ छेड़खानी किया, जिसकी शिकायत छात्रा ने अपनी बहन-बहनोई से की जिसके बाद छात्रा का बहनोई छात्रा को लेकर उसके गांव पहुंचा।

      वहां से छात्रा का चाचा नरेराम महतो (अब मृत) अन्य रिश्तेदार और कुछ ग्रामीण छात्रा को लेकर राजनगर थाना पहुंचे। जहां छात्रा के परिजनों ने पूरे मामले से पुलिस को अवगत कराया। इधर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी युवक को धर दबोचा।

      उसे थाने ले जाकर जमकर पिटाई की उसके बाद तत्कालीन एएसआई अनिल ओझा ने युवक से छोड़े जाने के एवज में 25 हजार का डिमांड किया, जिसे युवक के पिता ने धान बेचकर चुकाया और अपने बेटे को छुड़ा लिया।

      इधर बदनामी के डर से बचने के लिए छात्रा के चाचा नरेराम महतो (अब मृत) एवं अन्य ग्रामीणों ने थाना प्रभारी से दोनों की शादी करा देने की बात कही। वहीं थाना परिसर में मौजूद मंदिर में ही वरमाला एक दूसरे के गले में डलवा दिया गया।BAL CRUPTION 7

      उसके बाद तत्कालीन थाना प्रभारी यज्ञ नारायण तिवारी  ने  ग्रामीण रीति रिवाज के साथ शादी कराने का फरमान सुना आरोपी युवक को छोड़ दिया। इधर थाना के दबाव में आरोपी युवक ने वरमाला डाल छात्रा के साथ उसके गांव पहुंचा जहां सामाजिक रीति रिवाज के साथ दोनों की शादी करा दी गई।

      इधर मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब शादी के बाद छात्रा वापस स्कूल नहीं गई और युवक ने छात्रा को साथ रखने से इंकार कर दिया। इधर पूरे मामले का भेद खुलते ही पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया और सबसे पहले राज्य महिला आयोग सरायकेला पहुंची उसके बाद राज्य बाल संरक्षण आयोग।

      इधर किरकिरी होता देख तत्कालीन एसपी चन्दन कुमार सिन्हा ने थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया और एएसआई अनिल ओझा को निलंबित कर दिया था। वहीं जिले के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने राजनगर बीडीओ को मामला दर्ज कराने का निर्देश जारी किया था।

      वहीं मामला ठंडा पड़ते ही जिला पुलिस और बाल संरक्षण पदाधिकारी ने सांठगांठ कर पूरे मामले को पेचीदा बनाकर दोनों ही परिवारों को केस में उलझा दिया। अब आलम ये है कि दोनों ही परिवार पर गिरफ्तारी का भय सता रहा है।

      वैसे पूरे मामले को जिस तरह से जांच अधिकारियों ने उलझाया है और पुलिस को क्लीन चिट दिया है उससे तो यह साफ हो रहा है कि राज्य सरकार केवल जीरो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीट रही है, जमीनी हकीकत आज भी जस का तस बना हुआ है।BAL CRUPTION 1BAL CRUPTION 2 1

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