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    Thursday, April 25, 2024
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      उपेन्द्र ने पीएम से मुहाने नदी को पुर्नजीवित करने की लगाई गुहार

      देश के पीएम किसानों को अपनी आय दुगुनी करने को लेकर चिंतित दिखते हैं। लेकिन जब किसानों के परम्परागत  सिंचाई के साधन यानी नदी ही मृत पड़ी हो तो किसानों की आय दुगुनी कैसे हो”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। इस मुद्दे को लेकर नालंदा के चंडी प्रखंड के दस्तूरपर निवासी और आरटीआई एक्टिविस्ट उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने जीवन दायिनी ‘मुहाने नदी’ को जीवित करने के लिए पीएम से गुहार लगाई है। उन्होंने पीएम मोदी को एक विस्तृत पत्र लिखकर जीवनदायिनी ‘मुहाने नदी’ के बंद मुँह को खुलवाने की मांग की है।muhane river 6

      बिहार सरकार ने नालंदा, जहानाबाद और गया  जिला के लिए 1967 में उदेरास्थान बराज निर्माण योजना के तहत बराज बनाकर नहरों तथा नदियों के पानी आपूर्ति की योजना बनाई थीं। 

      लेकिन बाद कतिपय लोगों ने स्वार्थ वश मुहाने नदी का मुँह बंद कर दिया। जिस कारण  लाखों किसान सिंचाई साधन से आज भी दूर हैं ।

      एक समय था जब मुहाने नदी में सालों भर साफ पानी की धारा बहती थीं ।

      यहाँ तक कि जेठ महीने में भी पानी देखने को मिलता था। धीरे-धीरे लोगों ने मुहाने का अतिक्रमण शुरू कर दिया। देखते-देखते मुहाने नदी से नाले में तब्दील हो गई ।

      नालंदा के तीन विधानसभा क्षेत्र के आठ प्रखंड मुहाने नदी का मुँह बंद होने से प्रभावित है। लगभग 12 लाख किसान बारह मासी फसल अपने खेतों में नहीं उपजा पा रहे हैं।

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      उधर जल संसाधन विभाग योजना एवं मॉनिटिरिंग अंचल तीन के संचिका संख्या मो/4 कार्य पी 44/2000 पार्ट पृष्ठ संख्या 64 में जिला पदाधिकारी ने अपने प्रतिवेदन में कहा है कि नदी के मृत धार के दायरे में 14 गाँव के करीब तीस हजार की आबादी बसी हुई है। जिसका पुर्नवास का मसला काफी कठिन है।

      लेकिन डीएम ने उन लोगों पर कार्रवाई का कोई आश्वासन नहीं दिया, जिनकी वजह से तीस हजार लोगों ने मुहाने नदी पर बसेरा बना लिया।

      उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है कि एक तरफ सरकार सिंचाई के लिए मनरेगा, नदी जोड़ योजना, तालाब खुदाई, नहर खुदाई, नदी सफाई योजना, छिलका बराज योजना तथा गाँव में नलकूप योजना पर लाखों करोड़ रूपये खर्च किए जाते है। लेकिन इसके बाद भी कभी बाढ़ कभी सुखाड़ से किसानों को दो चार होना पड़ता है।

      अगर कुछ साल इन सब योजना को बंद कर गया के फल्गू नदी तट के उदेरास्थान से बंद मुहाने नदी का मुँह खुलवा दिया जाए तो इससे लाखों किसानों का भाग्य बदल सकता है। देश में अनाज उत्पादन बढ़ सकता है।

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      आरटीआई एक्टिविस्ट उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने पीएम मोदी से गुहार लगाते हुए कहा कि अगर आप मुहाने नदी का बंद मुँह खुलवा देंगे तो आप किसानों के दिल को जीत सकते हैं। आप का नारा ‘ सबका साथ -सबका विकास ‘तभी सार्थक हो सकता है।

      उल्लेखनीय है कि फल्गू नदी पर उदेरास्थान सिंचाई योजना का निर्माण 1967 में हुआ था।इस स्थल से 3.5 किमी उर्द्ध प्रवाह में मुहाने नदी निकलती है। मुहाने नदी की उक्त धार पूर्व निर्मित उदेरास्थान सिंचाई योजना के निर्माण के 60 वर्ष पूर्व से ही मृत प्राय है।

      उदेरास्थान वीयर योजना के निर्माण के समय भी ऐसी आशंका व्यक्त की गई थीं कि यदि फल्गू नदी की दिशा को ठीक नहीं किया गया तो फल्गू नदी की धार मुहाने नदी की ओर जा सकती है।

      तब वीयर का अस्तित्व बनाए रखने को लेकर वीयर के उर्द्ध प्रवाह में एफलक्स बांध का निर्माण करते समय 7’6″×4’0″ आकार का दो गेट वाला स्लूइस गेट का निर्माण किया गया। स्लूइस गेट अब भी बरकरार लेकिन बंद पड़ा हुआ है।

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      जल संसाधन विभाग की मानें तो महमूदा मुख्य नहर से 300 क्यूसेक जल नदी में आपूर्ति करने हेतु नहर की खुदाई पहले हो चुकी है। एक दो संरचनाओं का निर्माण होने के बाद जलवार नदी जो मुहाने से ही निकलती है, में 300 क्यूसेक जल प्रवाहित होने होने लगेगा। जिससे उसके निम्न प्रवाह में पूर्व निर्मित वीयरों से सिंचाई कार्य संभव होना शुरू हो जाएगा। लेकिन विभाग का यह दावा हवा हवाई ही बना हुआ है।

      वैसे भी जल संसाधन विभाग योजना एवं मॉनिटिरिंग अंचल तीन की मानें तो मृत धार को पुनर्जीवित करने में कई टोले जिनमें विशेष तौर पर महादलित टोले भी है, उन्हें पुनर्स्थापित करना होगा।

      साथ ही इस नदी के बेड से होकर गुजरने वाली कई सड़क में जल प्रवाह हेतु पुलिया बनाना होगा। नदी के बेड से होकर जा रहे विधुत तार और पोलों को हटाना पड़ेगा। कुल मिलाकर इसमें जल प्रवाहित करना है तो एक बड़ी राशि खर्च करनी होगी। जिसे विभाग फिजूलखर्ची मानते आ रहा है।

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      मुहाने नदी के बंद मुँह को खोलने को लेकर नालंदा के विभिन्न प्रखंडों में संगठनों ने आंदोलन भी छेड़ रखा है। नोनाई संघर्ष समिति एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा लंबे अरसे से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

      बाद में पांच सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया गया था ।जिसके अध्यक्ष गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के अध्यक्ष को बनाया गया था। मुख्य अभियंता पटना को सदस्य सचिव बनाया गया था। नोनाई संघर्ष समिति की ओर से दो सदस्य भी मनोनीत किए गए थे।

      इधर चर्चा है कि मंत्री परिषद की बैठक में 143 करोड़ की लागत से उदेरास्थान से लेकर चंडी के सिरनावा तक मुहाने नदी की उडाई होगी।अब देखना है कि नालंदा और जहानाबाद की जनता और किसानों का यह सपना पूरा होता भी है या नहीं ।

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