अन्य
    Friday, April 19, 2024
    अन्य

      आखिर क्यूं हुई मुख्यमंत्री के करीबी दुलारचंद यादव की गिरफ्तारी!

      “एक हत्या मामले में नीतीश के साथ आरोपित थे यादव नेता दुलारचंद….. जिस मामले में हुई गिरफ्तारी, उसमें 2018 से ही चल रहा टाईटिल सूट……. राजयसभा सदस्य सह वरीय जदयू नेता पर लग रहा षड़यंत्र का आरोप…..”        

      -: वरिष्ठ पत्रकार विनायक विजेता की सनसनीखेज रिपोर्ट : –

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)।  बीते रविवार को बाढ़ से गिरफ्तार किए गए नीतीश कुमार के करीबी और एक हत्या मामले में मुख्यमंत्री के मियादी रहे दुलारचंद यादव की गिरफ्तारी चर्चा का विषय बना हुआ है।patna barh asp lipi singh arrests dularchand yadav land grabbing 7

      1991 में बाढ़ में हुई एक चुनावी हत्या में नीतीश के साथ आरोपित किए गए दुलारचंद यादव का 2017 तक नीतीश से संबंध खटास थे, पर बाद के  दिनों में पुराना संबंध इस तरह प्रगाढ़ हो गया कि दुलारचंद का बेरोक-टोक 1, अणे मार्ग में आना-जाना शुरु हो गया।

      मुख्यमंत्री के आदेश पर उन्हें एक सरकारी अंगरक्षक भी मिल गया। पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान दुलारचंद नीतीश कुमार के साथ नवादा, मुंगेर सहित कई लोकसभा क्षेत्रों में एनडीए के पक्ष में चुनाव प्रचार अभियान में हिस्सा भी लिया और नीतीश के साथ मंच पर साथ-साथ दिखे।

      पर आखिर ऐसा हो क्या गया कि बाढ़ एएसपी की अगुवाई में पिछले दिनों उन्हें उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की माने तो उन्हें एक जमीन विवाद मामले में बाढ़ में दर्ज एक प्राथमिकी (176/19) के तहत गिरफ्तार किया गया है।

      जबकि दुलारचंद के परिजनों का कहना है कि यह प्राथमिकी एक राजनीतिक साजिश के तहत कराई गई। प्राथमिकी में जिस सुनील कुमार महतो ने वार्ड नंबर 27 स्थित 44 डी. जमीन का विवाद बताया है, वह जमीन वर्षों से  दुलारचंद यादव के पिता स्व. प्रसादी यादव के नाम है जिसका टाईटल सूट भी बीते वर्ष से ही न्यायालय में लंबित है।

      गौरतलब है कि बिहार में जदयू राजद महागठबंधन टूटने के पूर्व दुलारचंद यादव नीतीश कुमार के बिल्कुल खिलाफ थे और कई सार्वजनिक सभाओं में उन्होंने नीतीश के खिलाफ आग उगला था।

      patna barh asp lipi singh arrests dularchand yadav land grabbing 5

      अपने क्षेत्र सहित टाल क्षेत्र में यादव समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय माने जाने वाले दुलारचंद बाद के दिनों में लालू के समीप हो गए। अप्रैल 2017  मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही आरजेडी और जेडीयू का महागठबंधन टूट गया।

      नीतीश ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद ‘नैतिकता के आधार’ पर गठबंधन तोड़ते हुए इस्तीफे की बात कही थी।

      सूत्र बतातें हैं कि वहीं तब लालू यादव ने दुलारचंद यादव से ही मिले सबूतों के आधार पर नीतीश पर पलटवार करते हुए उन्हें हत्या और आर्म्स एक्ट में आरोपी बताया था।

      तब नीतीश कुमार के सीएम पद से इस्तीफे के ऐलान के बाद लालू ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। यहां उन्होंने नवंबर 1991 में हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनाव के दौरान बाढ़ संसदीय क्षेत्र में हुई सीताराम सिंह नामक व्यक्ति की हत्या का जिक्र किया था, जिसमें नीतीश कुमार बतौर अभियुक्त नामजद थे।

      आरजेडी सुप्रीमो ने मीडिया के सामने कुछ दस्तावेज भी दिखाते हुए कहा कि खुद को ईमानदार बताने वाले नीतीश कुमार को पता था कि वह अब इस मामले में घिरने वाले हैं। इसी डर से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और दोबारा बीजेपी के साथ जाने का मन बना लिया। लालू ने नीतीश पर हमला करते हुए कहा, ‘भ्रष्टाचार से बड़ा अपराध हत्याचार है।’

      दरअसल हत्या का यह मामला 28 साल पुराना है, जिसमें पंडारख थाना क्षेत्र में पड़ने वाले ढीबर गांव के रहने वाले अशोक सिंह ने नीतीश कुमार, दुलारचंद यादव सहित कुछ अन्य लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।

      patna barh asp lipi singh arrests dularchand yadav land grabbing 6

      अशोक सिंह ने इस बाबत दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया था कि बाढ़ सीट पर मध्यावधि चुनाव में वह अपने भाई सीताराम सिंह के साथ वोट देने मतदान केंद्र गए थे, तभी इस सीट से जनता दल उम्मीदवार नीतीश कुमार वहां आ गए। उनके साथ मोकामा से विधायक दिलीप कुमार सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव भी थे। सभी लोग बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस होकर आए थ।

      एफआईआर में आगे कहा गया है, ‘फिर अचानक नीतीश कुमार मेरे भाई को जान से मारने की नीयत से फायर किया, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।’ एफआईआर के मुताबिक, इस घटना में शिकायतकर्ता के अलावा चार अन्य लोग भी घायल हो गए।

      नीतीश के खिलाफ दर्ज 1991 का यह मामला वर्ष 2009 में दोबारा उछला था। तब 1 सितंबर 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) रंजन कुमार ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था।

      इस पर फिर नीतीश कुमार ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कर मामले को रद्द करने की मांग की थी। इस पर हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के आदेश पर स्टे लगा दिया और इस हत्याकांड में नीतीश के खिलाफ चल रहे सभी मामलों को उसके पास स्थानांतरित करने को कहा था।

      हालांकि हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद इन 10 वर्ष बाद इस मामले पर सुनवाई हुई और नीतीश कुमार पर क्रिमीनल प्रोसेडिंग चलाने संबंधी चाचिका को हाइकोर्ट ने क्वैश कर दिया।

      क्या था पूरा मामलाः

      patna barh asp lipi singh arrests dularchand yadav land grabbing 2* नवम्बर 1991- बाढ़ के पंडारक स्थित एक मतदान केन्द्र पर कांग्रेसी नेता सीताराम सिंह की गोली मारकर हत्या, चार जख्मी। सीतराम सिंह के भाई अशोक सिंह द्वारा नीतीश कुमार, दुलारचंद यादव सहित अन्य चार लोगों पर हत्या को मुकदमा दर्ज।

      *31 जनवरी, 1993- पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने मामले की जांच पूरी कर ली जिसके बाद उन्होंने कुमार और एक अन्य आरोपी के खिलाफ आरोपों को खारिज करते हुए एक रिपोर्ट सौंपी। लालू प्रसाद यादव तब मुख्यमंत्री थे।

      *5 अगस्त, 2008- बरह के एसीजेएम ने पुलिस की रिपोर्ट को स्वीकार किया और कुमार को दोषी ठहराया, जो तब मुख्यमंत्री थे।

      *20 जनवरी, 2009- एसीजेएम की अदालत में एक विरोध याचिका दायर की गई, जिसमें कुमार के बहिष्कार को चुनौती दी गई थी।

      *22 अप्रैल, 2009- पटना उच्च न्यायालय ने एसीजेएम की अदालत में इस मामले में आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया, जिसके बाद एक आरोप-पत्र अभियुक्त के एक आदेश के खिलाफ अपील की गई।

      *31 अगस्त, 2009- एसीजेएम ने जनवरी में दायर विरोध याचिका का संज्ञान लिया और कुमार के खिलाफ समन जारी करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा: “धारा 147, 148, 149, 302, 307 आईपीसी और 27 आम्र्स एक्ट के तहत अपराध के लिए प्रथम दृष्टया मामला दोनों आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ बनाया जा रहा है, जिनके खिलाफ संज्ञान लिया गया है। कार्यालय क्लर्क को निर्देश दिया जाता है कि वह आरोपी व्यक्ति की उपस्थिति के लिए समन जारी करे। “

      patna barh asp lipi singh arrests dularchand yadav land grabbing 4

      *31 अगस्त, 2009- एसीजेएम ने कुमार और दुलारचंद के खिलाफ संज्ञान लिया और आरोपी को 9 सितंबर, 2009 को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।

      *8 सितंबर, 2009- कुमार ने संज्ञान के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय का रुख किया और विरोध-सह-शिकायत याचिका पर कार्यवाही पर निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने में सफल रहे।

      *28 अक्टूबर, 2009- उच्च न्यायालय ने भी एसीजेएम को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसमें बताया गया कि उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में पारित किए गए आदेश का उल्लंघन क्यों हुआ।

      *15 मई, 2010- उच्च न्यायालय ने राधे कृष्ण सिंह द्वारा एक आवेदन स्वीकार किया, जिसने सीताराम के भाई होने का दावा किया, जिसने उच्च न्यायालय के पिछले आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कुमार के खिलाफ संज्ञान पर रोक थी।

      *31 जनवरी, 2019- उच्च न्यायालय ने कुमार की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उनके खिलाफ हत्या के मामले में संज्ञान लिया गया था। कुमार और उनकी पार्टी ने मामले को राजनीतिक ओवरटोन और प्रतिशोध के साथ मामले के रूप में संदर्भित किया, विपक्ष द्वारा फैलाया गया।

      * 15 मार्च 2019 : पटना हाइकोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ी राहत देते हुए उन पर दायर चुनावी हत्या से संबंधित एफआईआर और नीचली अदालत द्वारा मुख्यमंत्री पर चलाए जाने वाले क्रिमीनल प्रोसेडिंग को खारिज कर दिया।

      patna barh asp lipi singh arrests dularchand yadav land grabbing 3

      जसिटस ए अमानुल्लाह की पीठ ने इस संदर्भ में नीतीश कुमार पर क्रिमीनल प्रोसेडिंग चलाने संबधी याचिका दायर करने वाले राधकृष्ण सिंह पर यह कहते हुए 1 हजार का अर्थदंड लगाया कि ‘ऐसे मामलो में किसी तीसरे व्यक्ति जिसका इस तरह के केस से कोई ताल्लुक नहीं है। हस्क्षेप याचिका दायर नहीं कर सकता।’

      बहरहाल अब दुलारचंद यादव की गिरफ्तारी को भले ही जमीनी विवाद का कारण बताया जा रहा है। पर एक ही जमीन मामले को लेकर अबतक दोनों तरफ से आधा दर्जन से अधिक काऊंटर केस दर्ज होने के बाद एक पक्ष पर अबतक कोई कार्यवाई न होना पुलिस की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है।

      चर्चा तो यहां तक है कि नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाने वाले नौकरशाह से राज्यसभा सदस्य बने एक वरीय जदयू नेता को अचानक दुलारचंद से नीतीश की करीबी और बिना रोकटोक उनका एक अणे मार्ग में आना-जाना और सरकारी अंगरक्षक मिलना रास नहीं आ रहा था और इसी कारण दुलारचंद यादव के खिलाफ साजिश रखी गई। बाढ़ की एसडीपीओ लिपि सिंह उसी प्रभावशाली जदयू नेता की पुत्री बताई जाती हैं।

      सूत्रों के अनुसार इस गिरफ्तारी के बाद संपूर्ण टाल क्षेत्र में एक जाति विशेष में नीतीश कुमार, उनके करीबी एक राज्यसभा सदस्य और जदयू के प्रति काफी आक्रोश दिख रहा है। लोग इसे यादव की प्रतिष्ठा से भी जोड़कर देख रहे हैं।

      लोग चर्चा कर रहें हैं कि चुनाव के वक्त नीतीश ने दुलारचंद का उपयोग किया और बाद में उनके ही करीबी ने साजिश रच उन्हें जेल भिजवा दिया। हालांकि अब पूरा मामला पुलिसिया जांच पर निर्भर है कि सच क्या और झूठ क्या?

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!