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    Saturday, April 20, 2024
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      अपराध है राजगीर मेला सैरात भूमि की खरीद-बिक्री, बंदोबस्ती, दान या लीज

      ” प्रमडंलीय आयुक्त सह लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी आनंद किशोर के एक ऐतिहासिक अंतरिम आदेश के आलोक में राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्धारित 17-18 जुलाई के पहले दिन हुई प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर कई सबाल उठ खड़े हुये हैं।”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। बकौल राजगीर सीओ सतीश कुमार, कुल चिन्हित 30 लोगों मे 6 लोग को कोर्ट से स्टे आर्डर मिला हुआ है। जिसमें विजय सिंह का सिद्धार्थ होटल, शिवनंदन प्रसाद ,डॉ राज भूषण ,रफीक खान , फरीद खान एवं ज्ञान विकास पंडित है। फिलहाल 24 लोगों को इस जमीन से अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया है।

      राजगीर सीओ ने कहा न्यायालय को गुमराह कर वे कहां तक बचेगें। सब फंसेगें।

      RAJGIR CO
             राजगीर के सीओ सतीश कुमार…………………..

      इस संबंध में जब राजगीर के अंचलाधिकारी (सीओ) सतीश कुमार से पूछा गया कि क्या कोई व्यक्ति किसी सैरात भूमि को, खास कर मेला सैरात भूमि की खरीद बिक्री कर सकता है, उसे लीज पर ले सकता है या उसकी बंदोवस्ती करा सकता है? इस सबाल पर सीओ ने साफ तौर पर कहा कि नहीं ऐसा, कदापि संभव नहीं है। जहां तक स्टे ऑडर की बात है तो यह प्राइमरी फेज है। इसकी सुनवाई होगी और प्रशासन न्यायालय में अपना पक्ष-प्रमाण मजबूती से रखेगी और  फर्जीबाड़ा कर न्यायालय को गुमराह करने वालों पर उल्टी कार्रवाई होगी।

      उन्होंने कहा कि प्रशासनिक तौर पर सारे तत्थों की पड़ताल के बाद ही सारे चिन्हित लोगों के खिलाफ अतिक्रमण हटाने के आदेश पारित किये थे। चूकि कोर्ट के आदेश का वे उलंघन नहीं कर सकते, लेकिन न्यायालय में सब कुछ तो साफ होगा ही न। न्यायालय को गुमराह कर वे कहां तक बचेगें। सब फंसेगें।

      उन्होंने चर्चित राजगीर गेस्ट हाउस का उल्लेख करते हुये बताया कि उसके कथित मालिक द्वारा न्यायालय में दायर मामले में एक एडीशनल कमिश्नर बहाल किये गये हैं, जो पुनः नापी करायेगें।

      क्या कहते हैं पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विश्वनाथ प्रसाद

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      पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विश्वनाथ प्रसाद……………………………

      उधर, पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विश्वनाथ प्रसाद कहते हैं, ‘ इस मामले में जो लोग खरीदने-बेचने, लीज, बन्दोवस्ती, कागजात आदि जैसे लंद-फंद  बात कर रहे हैं, यह सब फ्रॉडगिरी के  सिवा कुछ भी नहीं हैं। ऐसे लोग न्यायालय को गुमराह कर उसकी आड़ में अतिक्रमण मुक्ति में सिर्फ तात्कालिक बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। प्रशासन को इस गंभीरता से समझते तत्काल कार्रवाई करनी चाहिये।  ‘।

      उन्होनें कहा कि किसी व्यक्ति या प्रशासन तो दूर, सरकार तक को यह अधिकार नहीं है कि किसी सैरात भूमि को किसी किसी व्यक्ति विशेष या संस्था को दे दे। क्योंकि यह आम जनता की जमीन है। जिन लोगों ने वैसा किया है, सब के सब जेल जायेगें अपराधिक मुकदमें में। नीचे से उपर के अधिकारी भी नपेगें।

      उन्होंने यह भी कहा कि अतिक्रमणकारियों को कोर्ट से कोई स्टे आदि मिला है तो इससे साफ होता है कि सरकारी बचाव पक्ष ने तत्थों को सही तरीके से नहीं रखा या फिर उसे छुपाया है। प्रशासनिक अधिकारियों को यह सब स्पष्ट करनी चाहिये।

       

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