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    Friday, April 19, 2024
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      अदालत की यूं रिकार्ड सुनवाईः गैंगरेप के 11 आरोपियों को उम्रकैद

      घटना के 92वें दिन दोषी करार, 97वें दिन सुनाई गई सजा, 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया….

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। कांके में लॉ छात्र से सामूहिक दुष्कर्म के 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। रांची सिविल कोर्ट के न्यायायुक्त नवनीत कुमार की अदालत ने घटना को जघन्य मानते हुए कहा कि दोषियों को अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा। इसके अलावा 50-50 हजार रुपया जुर्माना भी लगाया गया है। यह पैसा पीड़िता को मिलेगा। जुर्माना नहीं देने पर दोषियों को एक साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।   

      बीते सोमवार को दोपहर खचाखच भरी अदालत में करीब 15 मिनट की सुनवाई के बाद न्यायायुक्त ने सजा का ऐलान किया। इस दौरान दोषियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया। सजा सुनाए जाने के बाद पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ने जहां फैसले पर संतोष जताया, वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे।

      इसके पूर्व दोपहर 1.05 बजे अभियोजन पक्ष व बचाव पक्ष के अधिवक्ता कोर्ट रूम में प्रवेश करते हैं। इसके बाद डीजीपी केएन चौबे, डीआइजी एवी होमकर, एसएसपी अनीश गुप्ता, ग्रामीण एसपी ऋषभ झा आते हैं। 1.14 मिनट पर न्यायायुक्त नवनीत कुमार कोर्ट रूम में बैठते हैं। कार्यवाही शुरू होती है। बचाव पक्ष की ओर से एनसी दास खड़े होते हैं और दोषियों के कम उम्र और कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होने के तर्क के आधार पर कम से कम सजा की मांग करते हैं।KANKE GANG RAPE

      न्हीं की बातों को बचाव पक्ष के विनोद सिंह, ईश्वर दयाल, शंभू प्रसाद अग्रवाल भी दोहराते हैं। इस पर न्यायायुक्त ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप ही बताइए कितनी सजा मिलनी चाहिए..। जो कानून में लिखा है उसी अनुरूप सजा सुनाई जाएगी। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में रियायत का कोई विकल्प ही नहीं है।

      बचाव पक्ष के अधिवक्ता विनोद सिंह ने कहा, अदालत है मीडिया ट्रायल नहीं, कम उम्र को देखते हुए कम से कम सजा दें। इस पर पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता अरविंद लाल ने कहा कि फांसी की सजा भी कम होगी।

      इस पर अदालत ने टिप्पणी की, ‘घटना सोसाइटी को झकझोरने वाली, पीड़िता ने जो यातनाएं सही, उसे बयां करना मुश्किल।’

      अदालत ने कुलदीप उरांव, सुनील उरांव, संदीप तिर्की, अजय मुंडा, राजन उरांव, नवीन उरांव, बसंत कच्छप, रवि उरांव, रोहित उरांव, सुनील मुंडा एवं ऋषि उरांव को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा दी है। एक आरोपित नाबालिग निकला है, जिस पर अलग से केस चलेगा।

      वेशक, लॉ छात्र से सामूहिक दुष्कर्म मामले में अदालत ने रिकार्ड समय में फैसला सुनाया है। यह त्वरित न्याय का सटीक उदाहरण है। लेकिन इसके पीछे हाई कोर्ट, पुलिस और न्यायायुक्त का अथक प्रयास ही था कि घटना के 100 दिन पूरा होने से पहले ही सभी 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।

      झारखंड का यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें दर्जन भर अभियुक्त के होने के बाद भी इतने कम समय में फैसला सुनाया गया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन इस मामले की स्वयं मॉनीटरिंग कर रहे थे। नेशनल लॉ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होने के नाते वो पल-पल की अपडेट लेते रहे।

      केस के निष्पादन में किसी प्रकार की देरी न हो इस कारण न्यायायुक्त नवनीत कुमार ने मामले को अपने पास ही रखा। हालांकि बचाव पक्ष लगातार पुलिस जांच पर सवाल उठाते रहे हैं। इस मामले की गंभीरता इससे समझी जा सकती है कि सजा के दिन पुलिस के शीर्ष अधिकारी भी कोर्ट पहुंच गए थे।

      अभियोजन पक्ष की तैयारी इतनी मजबूत थी और साक्ष्य इतने पुख्ता थे कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता की तैयारी भी काम नहीं आई। न्यायालय में आने के बाद अभियोजन पक्ष ने जांच अधिकारियों के साथ आपसी तालमेल बिठाकर प्रत्येक ¨बदु पर पुख्ता साक्ष्य जुटाया। न्यायालय में अपने गवाहों के माध्यम से पूरी बात रखी। जबकि बचाव पक्ष असमंजस में रह गया।

      पुलिस ने इस मामले में एक-एक सबूत को इकट्ठा कर साक्ष्य के तौर पर न्यायालय में प्रस्तुत किया। जिससे साक्ष्य से किसी प्रकार की छेड़छाड़ का मौका नहीं मिला।

      ट्रायल शुरू होने से दोषी करार देने के समय तक दोषियों ने अपने बचाव में एक शब्द भी नहीं कहा। सजा सुनाते समय भी अदालत ने जब पूछा कि आप कुछ कहेंगे तो इसके जवाब में भी सभी 11 दोषी खामोश ही रहे। जैसे ही उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई, तो उनके चेहरे का भाव पूरी तरह से बदल गया।

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