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    Tuesday, March 19, 2024
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      अंततः अपनी ही साफगोई में डूब गए नीतीश

      “वेशक नीतीश कुमार द्वारा इस तरह की स्वीकारोक्ति उनकी छवि ही धुमिल नहीं करती, बल्कि उन्हें वर्तमान में बिहार का सबसे कमजोर, लाचार, वेवश और हर मोर्चे पर मात खाए नेता साबित करती है….”

      -: एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क / मुकेश भारतीय :-

      Nitish Kumar Chief Minister bihar 1बिहार के सीएम एवं जदयू का आधार नेता नीतीश कुमार ने लालू यादव,तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर को लेकर जो चौंकाने वाले कथित खुलासे किये हैं, उसी के मकड़जाल में बुरी तरह से फंसे नजर आ रहे हैं।

      बकौल नीतीश कुमार, लालू यादव से उनका रिश्ता सौहार्द्रपूर्ण रहा है और वह उसे बनाये रखना चाहते हैं। लालू जी से उनका राजनीतिक मतभेद हो सकता है, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर कोई मतभेद नहीं है। तेजस्वी यादव उनके प्रति कटुता दिखाते हैं,लेकिन वे उन पर प्यार बरसाते हैं। उनसे स्नेह करते हैं।

      नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को लेकर जारी अटकलों पर कहा है कि प्रशांत को उनका उत्तराधिकारी कहना उचित नहीं है। प्रशांत को जदयू में शामिल कराने की पेशकश बीजेपी अध्य़क्ष अमित शाह ने ही की थी। इसलिए प्रशांत को लेकर बीजेपी की नाराजगी वाली चर्चा में दम नहीं है।

      Nitish Kumar Chief Minister bihar 5नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ने की बाबत कहा है कि  उन्होंने पहले ही कह दिया था कि यह गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा। उन्होंने राजद का साथ छोड़ा क्योंकि उसके काम करने का तरीका गलत था। राजद हमसे दबाव में काम करवाना चाहता था। उन्होंने तेजस्वी से उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को समझाने के कहा तो वह मुकर गये।

      नीतीश कुमार आगे कहते हैं कि  राजद के साथ काम करते हुए उनके बारे में मीडिया में बहुत कुछ उल्टा-पुल्टा कहा गया। इसलिए उन्होंने महागठबंधन छोड़ने का फैसला लिया। वे महागठबंधन में गये। उसकी वजह है कि राजद ने पहले ही एलान कर दिया। एलान हो जाने की मजबूरी के चलते हमे सरकार में भी जाना पड़ा।

      बीजेपी से सांठगांठ कर बिहार में जनादेश का अपमान करने को लेकर नीतीश कुमार की सफाई है कि उन्होंने पहले इस्तीफा दिया। उसके बाद बीजेपी का ऑफर आया। एनडीए के साथ हम पहले से जुड़े रहे रहे हैं। 2014 में अलग होने के बावजूद आज हम साथ-साथ हैं। हम अलग हुए थे, तब हालात अलग थे।Nitish Kumar Chief Minister bihar 6

      बहरहाल, नीतीश कुमार द्वारा इस तरह की स्वीकारोक्ति उनकी छवि ही धुमिल नहीं करती, बल्कि उन्हें वर्तमान में बिहार का सबसे कमजोर, लाचार और वेवश नेता साबित करती है।

      अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। ऐसे में उनके कहने पर पॉल्टिकल लाइजन प्रशांत किशोर को जदयू में शामिल किए जाने का क्या आशय है। यदि प्रशांत किशोर अमित शाह के प्रिय हैं तो उन्हें भाजपा में शामिल में शामिल किया जाना चाहिए थी।

      नीतीश कुमार खुद को लालू प्रसाद के सिर्फ राजनीतिक विरोधी बताते हैं, लेकिन वर्ष 1995 के बाद हमेशा देखा गया है कि लालू प्रसाद जब भी मुश्किल दौर में आए हैं, नीतीश कहीं अधिक आक्रामक होकर उनकी जड़े खोदने में कभी पीछे नहीं रहे।Nitish Kumar Chief Minister bihar 2 1

      नीतीश कुमार की जदयू अकेले चुनाव लड़कर सत्ता में नहीं आई थी। राजद-कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर भाजपा को कड़ी मात दी थी। जिसमें सबसे अधिक सीटें राजद को मिली थी। पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा डीएनए की गाली को खुद नीतीश ने समूचे बिहारियों की अस्मिता से जोड़ दी थी। क्या अब भाजपा की शरण में जाते हीं उनके साथ समूचे बिहार का डीएनए ठीक हो गया? क्या बोरा भर-भर के भेजे गए नाखून-बाल के रिपोर्ट आ गए।

      यदि नीतिश कुमार को सरकार चलाने में राजद का दबाव झेलना पड़ रहा था तो उन्हें मीडिया के सामने यह भी स्पष्ट करनी चाहिए कि वे कौन से थे और किसके द्वारा बनाए गए। तेजस्वी पर डीप्टी सीएम रहते आरोप लगे। मीडिया के सामने सारे आरोप लगाने वाले वर्तमान डीप्टी सीएम शुशील कुमार मोदी थे। उस पर नीतीश कभी नहीं बोले। वे तेजस्वी को ही जनता के बीच जाने या खुद को जबाव देने को यदा कदा कहते रहे।Nitish Kumar Chief Minister bihar4

      अब नीतीश जी इतने अज्ञानी तो रहे नहीं कि कोई नेता जांच एजेंसियों के बजाय उन्हें आरोप पर अपनी सफाई दे या सीधे निर्वाचित होने के बाबजूद जनता के बीच जाए। अगर यही मापदंड है तो फिर महागठबंधन नेता के रुप में चुनाव जीत रातोरात विरोधी भाजपा संग सरकार बनाने से बेहतर होता कि जदयू-राजद दोनों दल पुनः अलग-अगल जनादेश लेने मैदान में उतरते।

      सबसे बड़ी बात कि राजद संग सरकार को लेकर जिस मीडिया पर वे उल्टा-पुल्टा लिखने का आरोप मढ़ रहे हैं, वही मीडिया आज बिहार के वद्दतम हालात का आयना दिखा रही है। जब नीतीश राजद के मंच से चुनाव लड़ रहे थे तो क्या उस समय लालू प्रसाद सजायाफ्ता नहीं थे। तेजस्वी पर लगे आरोपों की जानकारी उन्हें नहीं थी। भाजपा में आखिर कौन सा बदलाव आ गया है। कल भी मोदी-शाह का जलवा था और आज भी भाजपा में उनकी ही चलती है।Nitish Kumar Chief Minister bihar3

      रही बात नीतीश राज में बिहार की विकास की तो देश का कौन से ऐसी राज्य है, जिससे इतर यहां कुछ हो रहा है। झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा सरीखे प्रांतों में वही योजनाएं चल रही है, जैसा कि बिहार में चल रही है।

      बिना पूर्व तैयारी के अचानक शराबबंदी, बालूबंदी ने एक अलग माफिया वर्ग का उदय कर डाला है, जिसके सिरमौर उन्हीं के सुशासन के नुमाइंदें दल-तंत्र के लोग बने दिख रहे हैं। समूचे बिहार को तो छोड़िए। उनके राजनीतिक गढ़ और जिला-जेवार नालंदा में ही शासन का ही बेड़ा गर्क है। आम आदमी की कहीं सुनी नहीं जाती। सत्ता से जुड़े मुठ्ठी भर तंत्र जो चाहता है, वही होता है। यहां विकास से अधिक आतंक का महौल दिखता है…..

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