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    Friday, April 26, 2024
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      हदः नाबालिग रेप मामले में न्यायालय की भी नहीं सुन रही नालंदा पुलिस

      पुलिस की लापरवाह कार्यशैली सामाजिक तौर पर तब काफी गंभीर हो जाती है, जब वह एक बच्ची के साथ दुष्कर्म की प्रथमिकी दर्ज नहीं करती और जब पीड़ता न्यायालय की शरण में जाती है और न्यायालय की गंभीरता पर प्राथमिकी दर्ज करती भी है तो कोई कार्रवाई नहीं करती। पॉस्को एक्ट के तहत दर्ज प्राथमिकी के तरीके भी अनेक सवाल खड़े करते हैं। खासकर उस परिस्थिति में जब वारदात और न्यायालय के आदेश-निर्देश की जानकारी पुलिस तंत्र के हर स्तर पर हो………..”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। मामला बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा  के सरमेरा थाना क्षेत्र की है। विगत 1 जून, 2018 को ही सरमेरा थाना के छोटी छरियारी गांव में एक नाबालिक बच्ची के साथ सोई अवस्था में उसके पड़ोसी युवक ने जबरन दुष्कर्म कियाnalanda police cruption4

      इसके बाद पीड़िता के परिजनों ने ग्रामीण गवाहों के साथ मामले की शिकायत दर्ज करने सरमेरा थाना पहुंचे। लेकिन तात्कालीन थानाध्यक्ष ने ऐसे गंभीर मामले पर कोई संज्ञान नहीं लिया और डांट-डपट कर महिला थाना जाने को कहा।

      इसके बाद जब पीड़ता महिला थाना पहुंची तो वहां भी उसकी एक नहीं सुनी गई। परिजनों समेत भगा दिया गया। इसके बाद पीड़ित परिजनों ने तात्कालीन डीएसपी और एसपी से दुष्कर्मी के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाई। डीएसपी-एसपी भी अगंभीर बने रहे।

      इसके बाद पीड़ित परिजन बिहार शरीफ न्यायालय के मुख्य दंडाधिकारी के समक्ष फरियाद लगाई। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस (एसपी) को इस मामले में तात्काल प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने के आदेश जारी की।nalanda police cruption 3

      इस आदेश के बाद तात्कालीन सरमेरा थानाध्यक्ष उदय कुमार सिंह ने घटना के 6 माह बाद 27 नवंबर,2018 को भादवि की धारा-376, सेक्शन-3 पोस्को अधिनियम के तहत प्राथमिकी कांड संख्या-133/18 दर्ज की और मामले का अनुसंधान कर्ता बिहार शरीफ महिला थाना के एसआई अंजु तिवारी को बनाया।

      उसके बाद पीड़िता ने थानाध्यक्ष, अनुसंधानकर्ता और डीएसपी के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया। हालांकि यहां एक बड़ा सबाल उठता है कि सरमेरा थाना में प्राथमिकी दर्ज करने और महिला थाना के एसआई को अनुसंधान कर्ता बनाने के पिछे का असली ‘खेल’ क्या है। मामले को महिला थाना में हीं पुलिस ने दर्ज क्यों नहीं कराया और हुआ भी तो अनुसंधानकर्ता ने अब तक कोई जमीनी जांच कार्रवाई क्यों नहीं की?

      इधर माननीय न्यायालय बार-बार कार्रवाई रिपोर्ट की तलब कर रही है, लेकिन न पुलिस के वरीय अफसर की कुंभकर्णी नींद ही टूट रही हैं और न ही अनुसंधानकर्ता की सेहत पर कोई फर्क पड़ रहा है। यह केंचुल पीड़िता के साथ न्याय में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।

      इस संबंध में वर्तमान सरमेरा थानाध्यक्ष ने कहा कि इस मामले की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। अगर मामला दर्ज भी हुआ होगा तो महिला थाना में ही हुआ होगा। वहां के अनुसंधानकर्ता के बारे में कुछ नहीं बता सकते। जबकि मामला सरमेरा थाना में ही दर्ज है।nalanda police cruption 1

      इस मामले में बिहार शरीफ महिला थाना में पदस्थ अनुसंधानकर्ता अंजु तिवारी का पक्ष लिया लिया गया तो उनका तर्क काफी चौंकाने वाला है। तिवारी का कहना है कि उन्होंने कई बार आरोपी दुष्कर्मी को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह कहीं फरार है और पीड़िता या उसके परिजनों ने मुलाकात करना छोड़ दिया है।

      उधर, कहा जाता है कि आरोपी दुष्कर्मी की रसुख के सामने पुलिस शुरु से ही नतमस्तक है। पैसा-पैरवी ने पुलिस की आंखो पर चर्बी चढ़ा रखी है, जिसे पिघलाने की हिमाकत उसके आला हुकुमरान भी नहीं कर पा रहे !

      पीड़िता ने वर्तमान एसपी को सौंपे आवेदन में सीधा आरोप लगाया है कि न्यायालय के निर्देश पर मामला दर्ज होने के बाद स्थानीय पुलिस कार्रवाई करने के बजाय पीड़िता और गवाहों को ही धमकाना शुरु कर दिया है। आरोपी और उसके परिजन मुकदमा न उठाने की स्थिति में जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।

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