“राष्ट्रीय नीति आयोग द्वारा देश के 21 राज्यों के स्वास्थ्य सेवाओं के 21 राज्यों के पेश किये गए रिपोर्ट में बिहार को शर्मनाक 20 वां स्थान मिला है। सीएम नीतीश कुमार के गृह प्रखंड के अस्पताल का ही हालत जब बद्दतर हो तो अन्य का आलम सहज समझा जा सकता है……”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (दीपक विश्वकर्मा)। बिहार में दिमागी बुखार से लगातार हो रही बच्चों की मौत पर हरकत में आई बिहार सरकार ने सूबे के अस्पतालों को दुरुस्त करने का आदेश जारी किया है।
बावजूद इसके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह प्रखंड हरनौत के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई बदलाव नहीं आया। पुराने भवन में चल रहे 6 शैय्या वाला यह अस्पताल केवल दिखावा साबित हो रहा है।
इस अस्पताल में न तो डॉक्टरों की रहने की समुचित सुविधा है और न ही मरीजों की। पुरुष वार्ड में मात्र दो ही बेड लगे हैं, वह भी जमीन के ऊपर।
प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक राजेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में इस 6 शैय्या वाले इस अस्पताल को 10 शैय्या में तब्दील किया गया है और एक्सरे की भी सुविधा मौजूद है।
जहां तक हम बात करें ऑपरेशन थियेटर की तो यह भी पूरी तरह हाइजेनिक नहीं है। ओपीडी इमरजेंसी सभी छोटे छोटे कमरे में चलाए जा रहे हैं। इस अस्पताल की सीलिंग जगह जगह टूटी है।
सबसे बड़ी बात यह है इस अस्पताल का निर्माण 1910 में ब्रिटिश हुकूमत ने करवाया था यानी 109 साल गुजर जाने के बाद भी इस अस्पताल की काया नहीं बदली। आज भी इस अस्पताल परिसर में ब्रिटिश हुकूमत का शिलापट मौजूद है।
अस्पताल में डियूटी पर तैनात डॉ राकेश रंजन भी इन परेशानियों को मानते हैं। उनका कहना है कि जगह की कमी है। छोटे से जगह में ओपीडी इमरजेंसी ऑपरेशन करने में काफी कठिनाइयां आती है। आम लोग भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं।
स्थानीय निवासी चंद्र उदय कुमार ने इस अस्पताल में बिल्डिंग की कमी बताया उन्होंने कहा कि यह अस्पताल इस इलाके के लिए काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि एनएच पर होने के कारण आए दिन यहां दुर्घटनाएं होती हैं। मगर इस इस अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उसे पटना रेफर कर दिया जाता है।
ऐसे में यह अस्पताल केवल दिखावा साबित हो रहा है। इधर नीति आयोग द्वारा देश के 21 राज्यों के स्वास्थय सेवाओं के 21 राज्यों के पेश किये गए रिपोर्ट में बिहार को 20 स्थान मिला है। यानि बिहार में बेहतर स्वास्थय सेवा दिए जाने के सरकार के दावे की पोल खुल गयी।
अब बात जहां मुख्य मंत्री नीतीश कुमार अपने गांव कल्याणविघा की है तो यहां का नवनिर्मित रेफरल अस्पताल 30 बेड का है और कुल सात चिकित्सको की प्रतिनियुक्ति है।
यहां एक सर्जन हैं। वावजूद स्टाफ की कमी के कारण ऑपरेशन नहीं होता है। ए ग्रेड स्टाफ, ड्रेसर और कंपाउंडर की कमी है। पैथोलॉजी है, जहाँ मरीजों के जांच की सुविधा मौजूद है।
अस्पताल के प्रभारी डॉ अनिल कुमार ने बताया कि चार पीएचसी पर एक रेफरल अस्पताल होता है। लेकिन यहाँ एक पीएचसी पर एक रेफरल अस्पताल है। समूचा इंफ्रास्टक्चर रहते हुए भी सिर्फ स्टाफ के चलते अस्पताल में ऑपरेशन कार्य बाधित है।
इलाज के नाम पर सिर्फ ओपीडी ही है। इतना बड़ा अस्पताल होने के बाबजूद इस इलाके के ग्रामीण हरनौत या फिर बिहार शरीफ सदर अस्पताल का रुख करते हैं ।