देश के सबसे ज्यादा बिकने वाले इकॉनॉमिक टाइम्स अखबार के पहले पन्ने पर आज यह छपा है। मुझे इससे दो शिकायतें हैं।
- लालू प्रसाद के परिवार के साथ गाय और भैंस दिखाने का क्या मतलब? बदलते समय में जब जाति और पेशे का रिश्ता तेज़ी से टूट रहा है, तो यह स्टीरियोटाइपिंग क्यों। यादव दिखाना है तो भैंस दिखा देंगे? जबकि इस परिवार की वर्तमान और अगली पीढ़ी ने अपने लिए दूसरे प्रोफ़ेशन चुन लिए हैं।
और फिर यह भी तो देखिए कि पिछले एक साल का देश सबसे चर्चित CEO राहुल यादव है। इस बदलते समय को मीडिया पकड़ नहीं पा रहा है।
- अगर जाति और पेशे की स्टीरियोटाइपिंग ही करनी है तो सबकी कीजिए। जेटली या सुषमा स्वराज दिखाते समय आरती या दान की वह थाली क्यों नहीं, जिसमें सिक्का बटोरा जाता है?
या बिहार में चारा घोटाला शुरू करने वाले अभियुक्त जगन्नाथ मिश्र के साथ दक्षिणा, मतलब भीख लेने के लिए जजमानों के सामने फैलाया जाने वाला लाल गमछा ही दिखा देते?
स्टीरियोटाइपिंग बुरी बात है। सेलेक्टिव स्टीरियोटाइपिंग और भी बुरा बात है।
….. Dilip C Mandal अपने फेसबुक वाल पर।